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विषय-सूची
क्र०
विषय
| वीर-सेवा-मन्दिर का अभिनव
प्रकाशन जैन लक्षणावली माग दूसरा
१. अहंत-परमेष्ठी-स्तवन- पद्मनन्द्याचार्य २. उत्तर भारत में जैन यक्षी पद्मावती का प्रतिमा
निरूपण-मारुतिनन्दन प्रमाद तिवारी ३. मानधात नगर मडेश्वर प्रशस्ति का मत्री
वस्तुपाल से कोई सम्बन्ध नहीं
अगरचन्द नाहटा ४. वगङ्गचरित मे गजनीति
डा० रमेशचन्द जैन ५. हिन्दी-जैन पदो मे आत्म सम्बोधन -
प्रकाशचन्द्र जैन ६. भारतीय जैन कला को कलचरि नरेगा का
योगदान --श्री शिवकुमार नामदेव ७. वर्धमान पुराण के सोलहवे अधिकार का
विचार-यशवन्त कुमार मलया ८. दर्शन और लोकजीवन ---पुषराज जन
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चिर प्रतीक्षित जन लक्षणावली (जैन पारिभाषिक शब्दकोश) का द्वितीय भाग भी छप चुका है। इसमें लगभग ८०० जैन ग्रन्थों से वर्णानुक्रम के अनुसार लक्षणों का संकलन किया गया है। लक्षणो के संकतन में ग्रन्थकारों के कालक्रम को मख्यता दी गई है। एक शब्द के अन्तर्गत जितने ग्रन्थो के लक्षण संग्रहीत हैं उनमें से प्रायः एक प्राचीनतम ग्रन्थ के अनुसार प्रत्येक शब्द के अन्त में हिन्दी अनवाद भी दे दिया गया है। जहाँ विवक्षित लक्षण में कुछ भेद या होनाधिकता दिखी है वहां उन ग्रन्थो के निर्देश के साथ २.४ ग्रन्थों के प्राश्रय मे भी अनुवाद किया गया है । इस भाग में केवल 'क से प' तक लक्षणो का सकलन किया जा सका है। कुछ थोड़े ही समय में इसका तीसरा भाग भी प्रगट हो रहा है। प्रस्तुत ग्रन्थ संशोधकों के लिए तो विशेष उपयोगी है ही साथ ही हिन्दी अनुवाद के रहने से वह सर्वसाधारण के लिए भी उपयोगी है। द्वितीय भाग बड़े आकार में ४१८-1-८-२२ पृष्ठों का है। कागज पुष्ट व जिल्द कपड़े की मजबूत है । मूल्य २५-०० रु० है। यह प्रत्येक यूनोसिटी, सार्वजनिक पुस्तकालय एवं मन्दिरों में संग्रहणीय है। ऐसे ग्रन्थ वार-बार नही छप सकते । समाप्त हो जाने पर फिर मिलना अशक्य हो जाता है।
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सम्पादक मण्डल डा० प्रा. न. उपाध्य डा. प्रेमसागर जन यशपाल जैन पुषराज जैन
प्राप्तिस्थान वीर सेवा मन्दिर, २१दरियागंज,
दिल्ली-६
प्रबन्ध सम्पादक प्रोमप्रकाश जैन
(मचिव)
अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मल्य १ रुपया २५ पैसा
अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं है।
-व्यवस्थापक