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________________ विषय-सूची पृ. | वीर-सेवा-मन्दिर का अभिनव प्रकाशन जैन लक्षणावली (दूसरा माग) ६६ । ऋ.सं. विषय १. ऋषभस्तोत्रम्-मुनि पद्मनन्दि २. प्राचीन ऐतिहासिक नगरी : जूना (बाहड़मेर) ___-भूरचन्द जैन, बाड़मेर (राजस्थान) चिर प्रतीक्षित जन लक्षणावली (जैन पारिभाषिक ३. चम्पापुरी का इतिहास और जैन पुरातत्त्व शब्दकोश) का द्वितीय भाग भी छप चुका है। इसमें लग भग ४०० जैन ग्रन्थों से वर्णानुक्रम के अनुसार लक्षणों का श्री दिगम्बरदास जैन एडवोकेट, सहारनपुर । संकलन किया गया है। लक्षणों के संकलन में प्रन्थकारों ४. कुण्डलपुर की अतिशयता : एक विश्लेषण के कालक्रम को मुख्यता दी गई है । एक शब्द के अन्तर्गत -श्री राजवर जैन 'मानसहस', दमोह | जितने ग्रन्थों के लक्षण सगृहीत हैं, उनमें से प्रायः एक ५. महान् मौर्यवंशी नरेश : सम्प्रति प्राचीनतम प्रन्थ के अनुसार प्रत्येक शब्द के अन्त में -श्री शिवकुमार नामदेव, डिण्डौरी (मण्डला) ७३ | हिन्दी अनुवाद भी दे दिया गया है। जहां विवक्षित लक्षण ६. नरवर की श्रेष्ठ कलाकृति 'सहस्रकट जिनबिम्ब' में कुछ भेद या होनाधिकता दिखी है वहां उन अन्यों के निर्देश के साथ २-४ प्रन्थों के प्राश्रय से भी अनुवाद -प्रिंसिपल कुन्दनलाल जैन, दिल्ली ७६ किया गया है। इस भाग में केवल 'क से प' तक लक्षणों ७. श्री सहस्रकूट चैत्यालय पूजन का संकलन किया जा सका है। थोड़े ही समय में -श्री बसन्तलाल जी हकीम इसका तीसरा भाग भी प्रगट हो रहा है। प्रस्तुत ८. एक अन्तर्राष्ट्रीय जैन शोध-सस्थान की प्रन्थ संशोधकों के लिए तो विशेष उपयोगी है ही, आवश्यकता--डा. देवेन्द्रकुमार शास्त्री, साथ ही हिन्दी अनुवाद के रहने से वह सर्वसाधारण नीमच ८३ | के लिए भी उपयोगी है। द्वितीय भाग बड़े प्राकार १. मध्यप्रदेश के जैन पुरातत्त्व का संरक्षण में ४१८++२२ पृष्ठों का है। कागज पुष्ट व जिल्द -श्री अगरचन्द नाहटा, बीकानेर ८५ | कपड़े की मजबूत है । मूल्य २५-०० रु. है। यह प्रत्येक १०. भारतीय पुरातत्त्व तथा कला में भगवान यनीवसिटी, सार्वजनिक पुस्तकालय एवं मन्दिरों में संग्रहमहावीर-श्री शिवकुमार नामदेव, णीय है। ऐसे ग्रन्थ बार-बार नहीं छप सकते । समाप्त हो डिण्डौरी (मण्डला) ८७ | जाने पर फिर मिलना अशक्य हो जाता है। ११. भगवान महावीर की भाषा-क्रान्ति जैन लक्षणावली का तृतीय भाग मुद्रणाधीन है। --डा. नेमीचन्द जैन, इन्दौर प्राप्तिस्थान १२. ऐतिहासिक जैन धर्म-विद्यावारिधि डा. वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, ज्योतिप्रसाद जैन ६५ दिल्ली-६ अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पैसा भनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं है। -सचिव
SR No.538027
Book TitleAnekant 1974 Book 27 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1974
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size6 MB
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