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बोरसेवा मन्दिर का स्मरणपत्र
२. बा. छोटेलाल जैन, २६ इन्द्र
सदस्य ८. प्रेमचन्द जैन, २३ दरियगंज विश्वास रोड़ कलकत्ता-३७ व्यापार ,
व्यापार Premchand Jain ३. बा. जयभगवान जैन, एडवोकेट
वीर सेवामन्दिर को नियमावली (१९७२ में संशोधित) पानीपत
वकालत , १. इस सोसायटी का नाम वीर सेवा मन्दिर होगा। ४. ला. राजकृष्ण जैन, २३ दरियागंज
२. सोसायटी का प्रधान कार्यालय भारत की राजधानी दिल्ली
प्रापर्टीडीलर , दिल्ली रहेगा और शाखायें यथा आवश्यक देश के ५. ला. कपूरचन्द जैन, किराचीखाना,
दूसरे स्थानों तथा विदेशों में भी खोली जा कानपुर
टिम्बर मचेंट , सकेंगी। ६. ला. जुगलकिशोर कागजी, चावड़ी
३. सोसायटी के उद्देश्य निम्न प्रकार होंगे: बाजार, दिल्ली
पेपर मर्चेन्ट , (क) जैन जैनेतर पुरातत्व सामग्री का प्रच्छा ७. बा. जिनेन्द्रकिशोर जौहरी,
संग्रह, संकलन और प्रकाशन । ५४५ एसप्लेनेड रोड, दिल्ली जौहरी
(ख) महत्व के प्राचीन जैन-जनेतर ग्रन्थों का ८. बा. नेमचन्द वकील, बड़तल्ला,
उद्धार। सहारनपुर
वकालत
(ग) लोक-हितानुरूप नव-साहित्य का सृजन, प्रकहै. सेठ छदामीलाल जैन, फिरोजाबाद मिल मालिक ,
टीकरण और प्रचार । १०. डा. श्रीचन्द जैन, संगल, एटा डाक्टरी , (घ) 'अनेकान्त' पत्रादि द्वारा जनता के प्राचार ११. जयवंती देवी जैन नानौता
विचार को ऊंचा उठाने का सुदृढ़ प्रयत्न । (सहारनपुर)
भूतपूर्व जमीदार ,, (ङ) जैन साहित्य, इतिहास और तत्व-ज्ञान-विषहम विभिन्न व्यक्ति जिनके नाम नीचे दिए गए है
यक अनुसंघानादि कार्यो का प्रकाशन और इस बात के इच्छुक है कि उक्त संस्था (सोसाइटी) भार
उनके प्रोत्तेजनार्थ प्रवृत्तियों का विधान तथा तीय सस्था रजिस्ट्रेशन एक्ट नं० २१ सन् १८६० के
पुरस्कारादि का आयोजन। अधीन इस स्मरणपत्र के अनुसार रजिस्टर्ड होवे ।
४. अपने उक्त उद्देश्यो की पूर्ति के लिए सोसायटी] क्र.सं. नाम व पता पेशावृति हस्ताक्षर
निम्न योजनाएं करेगी: १. जुगलकिशोर मुख्तार, सरसावा
(क) जैन सस्कृति, साहित्य, कला और इतिहास (सहारनपुर) लोकसेवा जुगलकिशोर
के अध्ययन मे सहायक विभिन्न ग्रन्थों, शिला २. छोटेलाल जैन, २६ इन्द्र
लेखो, प्रशस्तियों, मूर्तियों, ताम्रपत्रों, सिक्कों, विश्वास रोड कलकत्ता व्यापार छोटेलाल जैन
यन्त्रों, स्थापत्य और चित्रकला के नमूनों ३. राजकृष्ण जैन, २३ दरियागंज
आदि सामग्री का लाइब्रेरी तथा म्यूजियम दिल्ली व्यापार राजकृष्ण जैन
आदि के रूप मे विशाल संग्रह। ४. जयवन्ती देवी ननौता
(ख) लुप्तप्राय प्राचीन जैन साहित्य, इतिहास तत्व जिला सहारनपुर जमीदारी जयवन्ती
ज्ञान, कला और जैन सस्कृति का उसके मूल ५. उल्फतराय न. ७/३३
रूप में अनुसंधान तथा अनुसंधान के आधार दरियागंज, दिल्ली सर्राफ उल्फतराय
पर नए मौलिक साहित्य का निर्माण । प्रेमचन्द जैन, ७/३२ दरिया
(ग) जैन ग्रन्थों का वैज्ञानिक पद्धति से उपयोगी गंज, दिल्ली दुकानदारी प्रेमचन्दजेन
प्रकाशन। ७. दयाचन्द जैन, १६ दरिया- रिटायर्ड Dayachand (घ) देशी तथा विदेशी भाषाओं में जैन ग्रन्थों का गंज, दिल्ली रेलवे आफीसर Jain
समुचित अनुवाद।