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विषय-सूची | वीर सेवा मन्दिर का अभिनव विषय पृ०
प्रकाशन १. मिद्धस्तुतिः
जेन लक्षणावली भाग दूसरा २. तत्वार्थमूत्र का लघु सस्करण
चिर प्रतीक्षित जैन लक्षणावली (जैन पारि-अनूपचन्द न्यायतीर्थ भाषिक शब्दकोश) का द्वितीय भाग भी छप चका ३. धर्म की बिक्री
श्रीठाकुर | है। इसमें लगभग ४०० ग्रन्थों से वर्णानुक्रम के अन
मार लक्षणों का सकलन किया गया है। लक्षणों के ४. जैन सस्कृति -प्रेमचन्द जैन एमom.
|मकलन मे ग्रन्थकागे के कालक्रम को मूख्यता दी ५. जनमत मे मूर्तिपूजा की प्राचीनता एव
| गई है। एक शब्द के अन्तर्गत जितने ग्रन्थो के विकास -शिवकुमार नामदेव १२
लक्षण मगहीन है उनमें से प्रायः एक प्राचीनतम ६. पुण्यतीथं गपोग
. मुधेश १६ ग्रन्थ के अनुसार प्रत्येक शब्द के अन्त में हिन्दी ७. राजल . मिश्रीलाल जैन १६ । अनुवाद भी दे दिया गया है। जहाँ विवक्षित
लक्षण मे कुछ भेद या हीनाधिकता दिखी है वहा ८. जैन दर्शन की महज उद्भति : अनकान्त
उन ग्रन्थो के निर्देश के माथ :-४ ग्रन्थो के प्राथय ----जयकुमार जलज २०
|में भी अनुवाद किया गया है। इस भाग में केवल १. प्रोमिया का प्राचीन महावीर मन्दिर
| 'क मे प तक लक्षणों का सकलन किया जा -श्री अगरचन्द जैन नाहटा २३ | सका है। कछ थोड़े ही समय में इसका तीसरा १०. विदिशा में प्राप्त जन प्रतिमाये एव गुप्त नरेश भाग भी प्रगट हो रहा है। प्रस्तुत ग्रन्थ सशोधको रामगुप्त
-शिवकुमार नामदेव २६ के लिए तो विशेष उपयोगी है ही, साथ ही हिन्दी ११. वीर सेवा मन्दिर विधान का स्मरण पत्र
अनुवाद के रहने से वह सर्वसाधारण के लिए भी
उपयोगी है । द्वितीय भाग बड़े आकार में १२. वीर सेवा मन्दिर के वर्तमान पदाधिकारी नथा
८५८.८ .-२२ पृष्ठो का है। कागज पुष्ट व कार्यकारिणी समिति के सदस्य
टा.५ ३
| जिल्द कपडे की मजबूत है। मूल्य २५.०० रु. है। यह प्रत्येक यूनीवर्सिटी, सार्वजनिक पुस्तकालय मन्दिरो मे सग्रहणीय है। ऐसे ग्रन्थ बार-बार नही छप सकते। समाप्त हो जाने पर फिर मिलना अशक्य हो जाता है।
प्राप्तिस्थान वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज,
दिल्ली-६ भनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया मण्डल उत्तरदायी नहीं है। । ---- व्यवस्थापक एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पैसा