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साहित्य-समीक्षा
महावीर जयन्ती स्मारिका-प्रधान सम्पादक पं. ज्योफो एल० रुड (सेक्रेटरी इण्टर नेशनल वेजीटेरियन भंवरलाल पोल्याका जैनदर्शनाचार्य, साहित्यशास्त्री। यूनियन व द वेजीटेरियन सोसाइटी ग्रेट ब्रिटेन आदि)। प्रकाशक-रतनलाल छाबड़ा मन्त्री राजस्थान जैन सभा, इस समय विदेशों में शाकाहार का प्रचार बढ़ रहा है, जयपुर । मूल्य दो रुपया।
जब कि हमारे भारत की स्थिति उससे विपरीत हो रही
है। जो जीवनतत्त्व मांस में पाये जाते हैं उनसे कई गुने ____ कुछ वर्षों से महावीर जयन्ती के अवसर पर राजस्थान
वे गेहूं, चावल, दाल, शाक-सब्जियों एवं फलों में पाये जाते जैन सभा जयपुर की ओर से यह स्मारिका प्रति वर्ष
है। प्रस्तुत अंक में इसे कुछ तालिकाओं द्वारा प्रमाणित निकाली जा रही है। प्रस्तुत स्मारिका सन् १९७३ की भी किया गया है। स्वास्थ्यप्रद भोज्य पदार्थ कौन से हैं है। यह तीन खण्डों में विभक्त है। प्रथम खण्ड में ऐसे तथा भोजन कब और कितना करना चाहिए इत्यादि बातों लेखों का संकलन है जो अधिकारी विद्वानों के द्वारा धर्म, पर इस अंक में अच्छा प्रकाश डाला गया है। साथ ही दर्शन और समाज के सम्बन्ध में लिखे गये है। द्वितीय मांसाहारियों का स्वभाव कसा कर बन जाता है व बुद्धि खण्ड में कला और साहित्य से सम्बन्ध रखने वाले मह- रित रहती है. इसे भी अनेक लेखों द्वारा स्पष्ट किया त्वपूर्ण लेखो का चयन किया गया है। तीसरे खण्ड मे गया है। इंगलिश मे लिख गये लेखों का संग्रह है। स्मारिका में कछ स्वादलोलुपी अण्डों को विशेष स्बास्थ्यप्रद बतमहावीर जयन्ती समारोह से सम्बन्धित चित्रों के अति
लाते है । पर उनके प्रयोग से कितने रोग हो सकते हैं, रिक्त कितने ही मन्दिर एव मूर्तियो आदि के चित्र भी दे
इसे डा० सरयू देवी लोमा के द्वारा लिखे गये 'शाकाहारी दिये गये है। लेख सभी उपयोगी व पठनीय है। राज
भोजन और प्राकृतिक चिकित्सा' शीर्षक लेख (पृ. २३४ स्थान जैन सभा जयपुर का यह कार्य स्तुत्य है। इस
से २३७) मे बहुत कुछ स्पष्ट किया गया है । लेख में उन महत्वपूर्ण प्रकाशन के लिए प्रधान सम्पादक, सम्पादक
विदेशी डाक्टरों का नामोल्लेख भी किया गया है जिन्होंने मण्डल एवं प्रकाशक आदि को विशेष धन्यवाद देना
खोजकर यह प्रमाणित किया है कि अण्डों के प्रयोग से चाहिए।
अनेक रोग होते है। 'जंन जगत का माहार विशेषांक-सम्पादक-रिषभ- प्रस्तुत "आहार-विशेषांक" के प्रगट करने के लिए दास रांका, प्रकाशक-~भारत जैन महामण्डल, १५ ए सम्पादक व प्रकाशक प्रादि का विशेष आभार मानना हानिमन सर्कल, फोर्ट, बम्बई-१।।
चाहिए। प्रस्तुत विशेषांक में आहारविषयक लगभग ५०-६० राजस्थान के जैन शास्त्रभण्डारों की अन्ध-सूची पंचम लेख संग्रहीत है। वर्तमान में जो मांसाहार का प्रचार भाग-सम्पादक-डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए., उत्तरोत्तर बढ़ रहा है उसे देखते हुए ऐसे विशेषांक की पी-एच. डी. व पं० अनूपचन्द न्यायतीर्थ साहित्यरत्न । बहुत आवश्यकता थी। विशेषांक मे ऐसे कितने ही लख है प्रकाशक-प्रबन्धकारिणी कमेटी दि० जैन प्र० क्षेत्र श्रीजो मांसाहार से होने वाली हानियों का दिग्दर्शन कराते हुए महावीरजी। बड़ा भाकार, पृष्ठ संख्या ४+१३८६, शाकाहार को स्वास्थ्यप्रद प्रमाणित करते हैं। उनमें कुछ मूल्य ४०) । लेख बिदेशी विद्वान् डाक्टरों के द्वारा लिखे गये है-जैसे प्रस्तुत ग्रन्थसूचीमें ४५ शास्त्रभण्डारों की १०६७० फान्स के लगनशील शाकाहारी डा. जीन नुस्तवाम ब पाण्डुलिपियों का परिचय कराया गया हैं। इस परिचय में