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________________ २१८, वर्ष २६, कि०६ अनेकान्त लग रहा था। वे अब पुष्यमित्र को अधिक अवसर देना कलिंग सेना सुगङ्गप्रासाद को घेरे खड़ी है। विजयी उचित नहीं समझते थे। और एक दिन कूच के ढोल बज सम्राट खारवेल हाथी पर शौर्य और प्रोज की धारा बहाते ही उठे। से सस्मित मुद्रा में बैठे हैं। पाटलीपुत्र की पावन तोया X जाह्नवी खारवेल की सेना के हाथियों को मार्ग देती बह के प्रभंजन के वेग से चले। जो सामने आया, वह रही है। और असख्य वाहिनी निरन्तर पाटलीपुत्र में टिक न सका। वे जिस ओर भी गये, राजा भेंट लेकर प्रवेश कर रही है। खडे मिले । समय की तरह दुर्विचार और काल की तरह चक्रवर्ती पुष्यमित्र की कुछ सेना सीमांत पर कलिग दुर्दान्त । कौन था जो उसके सामने पड़ने का साहस की अग्रगामी सेना से जूझ रही है जो सोन के मार्ग से करता। सारा उत्तरा पथ कांप उठा उनके शौर्य से, सारा आई थी और शेष सेना पाटलीपूत्र मे कलिग सेना के उत्तरापथ प्रातंकित हो उठा उनकी रणचातुरी से । सारे समक्ष अपने सारे प्रायुध समर्पण कर चकी है। स्वयं नृप करद माण्डलिक बन गए। पुष्यमित्र वन में महर्षि पातञ्जलि को अपने पराभव का जब यकायक उन्होंने अपना मार्ग बदल दिया। अग्र बृत्तान्त सुना रहे है। और इधर पाटलीपुत्र के प्रमुख गामी दल के साथ दो प्रक्षौहिणी को मुख्य मार्ग से मगध उपचरिक वहसातिमित्र समभ्रम कलिग जिनकी प्रतिमा उपचरिक मानि समोर भेजा और शेष वाहिनी को लेकर स्वयं हिमालय सम्राट खारवेल को समर्पित कर रहे है। की उपत्यकामों के कठिन किन्तु गुप्त मार्ग से पाटलिपुत्र जब सम्राट् खारवेल ने अपने कुलदेवता की प्रतिमा की भोर रवाना हुए। श्रद्धा और सम्मान के साथ ग्रहण की, तो कलिग की और एक दिन पाटलिपुत्र की जनता के उषाकाल में असंख्य वाहिनी के कण्ठ से 'जय कलिंग जिन' का तुमल अत्यन्त विस्मय और भय के साथ देखा जयघोष निकल पड़ा। 'अनेकान्त' के स्वामित्व तथा अन्य व्योरे के विषय में प्रकाशन का स्थान 'वीर सेवा मन्दिर' भवन, २१, दरियागंज, दिल्ली प्रकाशन की अवधि द्वैमासिक मुद्रक का नाम श्री बालकिशन राष्ट्रीयता भारतीय पता रूप वाणी प्रिटिग हाऊस २३, दरियागंज, दिल्ली प्रकाशक का नाम ओम प्रकाश जैन (सचिव) राष्ट्रीयता सभी भारतीय पता वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, दिल्ली सम्पादको का नाम डा० प्रा० ने० उपाध्ये, कोल्हापुर; डा. प्रेमसागर, बड़ौत; श्री यशपाल जैन, दिल्ली; प्रकाशचन्द्र जैन, दिल्ली। राष्ट्रीयता भारतीय पता मार्फत : वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागंज, दिल्ली स्वामिनी संस्था वीर सेवा मन्दिर, २१, दरियागज, दिल्ली मैं मोमप्रकाश जैन घोषित करता हूँ कि उपयुक्त विवरण मेरी जानकारी और विश्वास के अनुसार सही है। १७-२-७४ ह. प्रोमप्रकाश जैन -
SR No.538026
Book TitleAnekant 1973 Book 26 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1973
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size14 MB
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