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वीर सेवा मन्दिर का अभिनव प्रकाशन
जैन लक्षणावली भाग दूसरा
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चिर प्रतीक्षित जैन लक्षताावली (जैन पारिभाषिक शब्दकोष) का द्वितीय भाग भी छप चुका है। इसमें लगभग ४०० जेन ग्रन्यों से वर्णानुक्रम के अनुसार लक्षणों का सङ्कलन किया गया है। लक्षणों के सङ्कलन में ग्रन्थकारों के कालक्रम को मुख्यता दी गई है। एक शब्द के अन्तर्गत जितने ग्रन्थों के लक्षण संगृहीत है उनमें से प्राय: एक प्राचीनतम ग्रन्थ के अनुसार प्रत्येक शब्द के अन्त में हिन्दी अनुवाद भी दे दिया गया है । जहाँ विवक्षित लक्षगण में कुछ भेद या होनाधिकता लिखो है वहां उन ग्रन्थों के निर्देश के साथ २-४ ग्रन्थों के आश्रय से भी अनुवाद किया गया है। इस भाग में केवल 'असे ग्रौ' तक लक्षणों का सङ्कलन किया जा सका है । कुछ थोड़े ही समय में इसका तीसरा भाग भी प्रगट हो रहा है, वह लगभग तैयार हो चुका है। प्रस्तुत ग्रन्थ संशोधकों के लिए तो विशेष उपयोगी है ही, साथ हो हिन्दी अनुवाद के रहने से वह सर्वसाधारण के लिए भी उपयोगी है। द्वितीय भाग बड़े आकार में ४१८+८+१४...... पृष्ठो का है । कागज पृष्ठ व जिल्द कपड़े की मजबूत है। मूल्य २५-०० रु० है। यह प्रत्येक यूनीवर्सिटी, सार्वजनिक पुस्तकालय एवं मन्दिरों में संग्रहणीय है। ऐसे ग्रन्थ बार-बार नहीं छपते । समाप्त होने पर फिर मिलना अशक्य हो जाता है।
प्राप्ति स्थान वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज,
दिल्ली-६
4004-0-0-440
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