SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऋ० । जैन-लक्षणावली (पारिभाषिक शब्द-कोश) ७१ विषय-सूची | वीर-सेवा-मन्दिर का नया प्रकाशन : विषय १. वर्धमान जिन सवन-समन्तभद्राचार्य २. मुक्तक काव्य दोहा-पांडे रूपचन्द ३. सल्लेखना या समाधिमरण - परमानन्द जन शास्त्री ५१ । प्रत्येक व्यक्ति के पढने तथा मनन करने योग्य ४. राजस्थान के जैन कवि और उनकी रचनाए- जैन पारिभाषिक शब्दकोप बहत परिश्रम में तैयार डा० गजानन मिश्र एम. ए. पी, एच. डी ६२ / किया गया यह शब्द कोश स्वाध्याय प्रेमियों के ५. कलचुरि कला में शासन देवियाँ -शिवकुमार । लिए अत्यन्त उपयोगी है । पुस्तकालयों और ग्रथा. नामदेव (शोध छात्र) ६६ | लयों के लिए प्रत्यावश्यक है। ६. कालकोट के दुर्ग से प्राप्त एक जन प्रतिमा-- इसका स्वरान्त (ग्र से नौ तक) प्रथम भाग डा. देवेन्द्र कुमार शास्त्री छर कर तैयार हो चका है। इसमें दिगम्बर और ७. गोलापूर्व जाति पर विचार -- यशवनकुमार श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदायों के लगभग ८०० ग्रन्थों मलया से पारिभाषिक शब्दों को संकलित किया गया है। ८. गुप्तकालीन ताम्रशासन इन ग्रन्थों से जो उममें लक्षण मंगहीत है उन्हे परमानन्द जैन शास्त्री यथासम्भव कालक्रम में रखा गया है। यह गोध खोज करने वाले विद्वानो के लिए महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ ६. पोदनपुर-१० बलभद्र जैन न्यायतीर्थ १०. ० शीतलप्रसाद और उनकी साहित्य माधना समझा जायगा। साथ ही वह तत्व जिज्ञामुग्रो के श्री पन्नालाल जैन अग्रवाल लिए भी उपयोगी है। विवक्षित विविध लक्षणों में से १-२ ग्रन्थों के प्राश्रय में प्रामाणिक हिन्दी ११. सम्पादकीय नोट-परमानन्द शास्त्री १२. साहित्य-ममीक्षा-परमानन्द शास्त्री टा. पृ. ३ अनुवाद भी प्रत्येक लाक्षणिकशब्द के नीचे दे दिया गया है। प्रस्तावना में १०२ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का परिचय करा दिया है तथा परिशिष्ट में ग्रन्थकारी अनेकान्त के ग्राहकों से के काल का भी निदंग कर दिया गया है। छपाई प्रशान्त के सभी ग्राहकों का मूल्य गत किरण एक उत्तम और पूर्णरूप मे कपडे की सुन्दर व टिकाऊ के साथ समाप्त हो गया है। २५वे वर्ष की दूसरी जिल्द है। बड़े आकार में पृष्ठ मख्या ४४० है। किरण भेजी जा रही है। अतः ग्राहको से सानुरोध लागत मूल्य रु०२५-०० रखा गया है। निवेदन है कि वे अनेकान्त के २५वे वर्ष के ६) रुपया वीर सेवामन्दिर मनी बार्डर से भिजवा कर अनुगृहीत कर। जिन्होने २१, दरियागंज, दिल्ली ६ प्रभी वार्षिक मूल्य के ६) रुपया नहीं भिजवाए है वे शीघ्र ही भिजवाने को कृपा करे । अन्यथा अगला प्रक ७-५० की वी. पी. से भेजा जावेगा। सम्पादक-मण्डल व्यवस्थापक 'प्रनेका त' डा० प्रा० ने० उपाध्ये वोर सेवामन्दिर, २१ दरियागंज डा० प्रेमसागर जैन दिल्ली श्री यशपाल जैन परमानन्द शास्त्री अनेकान्त में प्रकाशित विचारो के लिए सम्पादक अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया मण्डल उत्तरदायी नहीं है। -व्यवस्थापक अनेकारस एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पैसा
SR No.538025
Book TitleAnekant 1972 Book 25 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1972
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy