SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीर-सेवा-मन्दिर का नया प्रकाशन : जैन-लक्षणावलो (पारिभाषिक शब्द-कोश) प्रत्येक व्यक्ति के पढने तथा मनन करने योग्य जैन पारिभाषिक शब्दकोप बहत परिश्रम से तैयार किया गया यह शब्द कोश स्वाध्याय प्रेमियो के लिए अत्यन्त उपयोगी है। पुस्तकालयो और ग्रथालयों के लिए प्रत्यावश्यक है। इसका स्वरान्त (असे प्रौ तक) प्रथम भाग छप कर तैयार हो चका है। इसमें दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदायों के लगभग ४०० ग्रन्थों से पारिभाषिक शब्दों को संकलित किया गया है। इन ग्रन्थों से जो उसमें लक्षण संगहीत है उन्हें यथासम्भव कालक्रम से रखा गया है। यह गोध-खोज करने वाले विद्वानों के लिए महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ समझा जायगा । साथ ही वह तन्व जिज्ञासूत्रों के लिए भी उपयोगी है। विवक्षित विविध लक्षणों में से १-२ ग्रन्थों के प्राश्रय से प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद भो प्रत्येक नाक्षणिक शब्द के नीचे दे दिया गया है। प्रस्तावना में १०२ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थो का परिचय करा दिया है तथा परिशिष्ट में ग्रन्थकारों के काल का भी निर्देश कर दिया गया है। छपाई उत्तम और पूर्णरूप से कपड़े की सुन्दर व टिकाऊ जिल्द है। बड़े आकार में पृष्ट मख्या ४४० है । लागत मूल्य रु० २५-०० रखा गया है। वीर सेवामन्दिर २१, दरियागंज, दिल्ली-६
SR No.538025
Book TitleAnekant 1972 Book 25 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1972
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy