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विषय-सूची
अनेकान्त के ग्राहकों से क्र०
पृ०
अनेकान्त पत्र के ग्राहकों से निवेदन है कि वे अने
कान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया मनीआर्डर से शीघ्र १. जिनवर-स्तवनम्-मुनि पद्मनन्दि
भिजवा दे, अन्यथा वी. पी. से १.२५ पैसे अधिक देना २. भारतीय दर्शन की एक अप्राप्ति कृति
पडेगा। ___ अष्टसहस्री-डा० दरबारी लाल कोठिया २
जिन ग्राहकों ने अपने पिछले २३ वे वर्ष का चन्दा ३. जैन शिल्प में बाहुवली
| अभी तक भी नही भेजा है, वे अब २३वें और २४वे मारुतिनदन प्रसाद तिवारी
दोनो वर्षों का १२ रुपया मनी प्रार्डर से अवश्य भिजवा ४. दशबाह्य-परिग्रह-पं० रतनलाल कटारिया ५. ग्वालियर में जैन धर्म-गोपीलाल अमर
व्यवस्थापक 'अनेकान्त' ६. सम्यग्दर्शन एक अध्ययन
वीर सेवामन्दिर, २१ दरियागज प. बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री
दिल्ली ७. जैन परम्परा के कुछ अज्ञात साधु--
श्री रामवल्लभ सोमानी ८. अज्ञात जैन कवि और उनकी रचनाए
डा० गंगागम गर्ग ६. त्रिपुरी की कलचुरि कालीन जैन प्रतिमाए
पुस्तक काशकों से कस्तूरचन्द 'सुमन' एम. ए.
जैन समाज मे अनेक सस्थाए जैन साहित्य का १०. मानव को स्वाधीनता का सघर्ष
प्रकाशन कार्य कर रही है। बीर सेवा मन्दिर की लायब्रेरी ५० बलभद्र जैन
अन्वेषक विद्वानो के लिए अत्यन्त उपयोगी है। अनेक ११. हिन्दी के कुछ अनाव जैन कवि और अप्रकाशित शोध-खोज करने वाले विद्वान अपनी थीसिस के लिए रचनाए-परमाद जनशास्त्री
योग्य सामग्री वीर सेवा मन्दिर के पुस्तकालय से प्राप्त १२. साहिय-समीक्षा-परमानंद शास्त्री
करते है। विद्वानों को चाहिए कि वे उससे अधिक से अधिक लाभ उठावे । प्रकाशको को चाहिए वे अपने-अपने प्रकाशन की प्रतियाँ यहाँ भिजवा कर पुण्य लाभ ले ।
व्यवस्थापक वीर सेवामन्दिर, दरियागज
सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये डा. प्रेमसागर जैन श्री यशपाल जैन परमानन्द शास्त्री
अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पैसा
__ अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं हैं। -व्यवस्थापक अनेकान्त