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________________ पृ० विषय-सूची अनेकान्त को सहायता क्र. विषय १ सिद्ध स्तुति--मुनि श्री पद्मनन्दि ११) सेठ रामरूप नेमीचन्द १४/१६, प्रारजीकर २ राजस्थान में जैनधर्म व साहित्य : एक सिंहाव रोड, कलकत्ता ने अनेकान्त के लिए दानस्वरूप ग्यारह लोकन-डा० गजानन मिश्र एम. ए. रुपया भेजे है। इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र है । पी-एच. डी. २३४ ५. वैद्य प्रभुदयाल जो कासलीवाल ने अपने सुपुत्र ३ अागरा मे जैनो का सम्बन्ध और प्राचीन जैन राजेशकुमार एव शुभचन्द्र सेठो गया निवासी की सुपुत्री मन्दिर--बाबु ताराचन्द परिया मजलता के विवाहोपलक्ष मे निकाले दान मे से पाच ४ जैनदर्शन में ग्रात्मतत्त्व विचार--लालचन्द रुपया अनेकान्त के लिए मधन्यवाद प्राप्त हुए है। जैन शास्त्री एम. ए. २४२ समाज के महानुभावो का कर्तव्य है कि वे विवा५ रणनभंवर (रणथ भौर) का कक्का : हादि शुभावमरो पर अनेकान्त को अच्छी सहायता भिजएक ऐतिहासिक रचना-अनुपचन्द जैन न्याय. २४६] | बाने का यत्न कर। कारण अनेकान्त ही जैन समाज का ६ खजुगहा के जैनन्दिरो के डार लिटल्स पर शोध-खोज विषयक एक प्रतिष्ठित पत्र है। उत्कीर्ण जैन देविया-मारुतिनन्दन प्रमाद व्यवस्थापक 'अनेकान्त' निवारी २५१ वोर सेवामन्दिर, २१ दरियागंज ७ तत्त्वार्थ नत्र के प्रथम अध्याय का तीसवा मूत्र : दिल्ली एक अध्ययन-मन्मतकुमार जैन एम. ए. (शोधछात्र) ८ भद्रबाहु श्रुतकेवली-परमानन्द जन शास्त्री २५७ ९ सकट की स्थिति मे समाजकल्याण बोडों का योगदान-एम. सी जैन २५६ पुस्तक प्रकाशकों से निवेदन १. शोध-कण-परमानन्द जैन शास्त्री ११ उत्तर पचाल की राजधानी अहिच्छत्र समाज की पुस्तक प्रकाशक सस्थानों के संचालकों से परमानन्द जैन शास्त्री २६५ निवेदन है कि वे अपने-अपने प्रकाशनों की एक-एक कापी १२ ध्यान शतक : एक परिचय वीर-सेवा-मन्दिर की लायब्रेरी को भेंट स्वरूप भेजें। पं. बालचन्द्र सि० शास्त्री कारण कि वीर-सेवा-मन्दिर को लायब्ररी का उपयोग १३ साहित्य-समीक्षा-परमानन्द जैन शास्त्री २७८ दिल्ली यूनिवसिटी और बाहर के अन्वेषक (शोध-छाप और छात्राएं) कर रहे है । आशा है संस्थानों के प्रकाशक सम्पादक-मण्डल इस पोर ध्यान देने का प्रयत्न करेगे । डा० प्रा० ने० उपाध्ये व्यवस्थापक डा. प्रेमसागर जेन वीर सेवामन्दिर, दरियागंज श्री यशपाल जैन दिल्ली परमानन्द शास्त्री २५४ ६२ २७६ अनेकान्त मे प्रकाशित विचारो के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं है। -व्यवस्थापक अनेकान्त अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पैसा
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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