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________________ २१३ विषय-सूची अनेकान्त के ग्राहकों से विषय पृ. १ प्रर्हत् परमेष्ठी स्तवन अनेकान्त के प्रेमी पाठकों से निवेदन है कि वे अने १८५ २ चन्द्रवाड का इतिहास-परमानन्द जैन शास्त्री १८६ कान्त का वार्षिक मूल्य ६ रुपया जिन ग्राहको ने प्रभी ३ हिन्दी भाषा का महावीर साहित्य तक नही भेजा है, उन्हे चाहिए कि वे अपना पिछला डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल १६३ वार्षिक मूल्य छह रुपया मनीआर्डर से भेज दे । क्योकि ४ जन कला में प्रतीक तथा प्रतीकवाद अगली छठी किरण के साथ उनका वर्ष २४ का वार्षिक ए० के० भट्टाचार्य अनु० मूल्य समाप्त हो जाता है। डा० मानसिंह एम. ए. व्यवस्थापक 'अनेकान्त' १६६ ५ अपभ्रश भाषा के जैन कवियों का नीति वर्णन वोर स्वामन्दिर, २१ दरियागज -डा० बालकृष्ण 'अकिचन' २०१ दिल्ली ६. दुःख प्रार्य सत्य : एक विवेचनधर्मचन्द जैन (शोध छात्र) २०५ ७ शोध-कण-श्री यशवतकुमार मलया सूचना ८ पारसनाथ किला के जैन अवशेषकृष्णदत्त वाजपेयी अनेकान्त मे समालोचनार्थ प्रत्येक पुस्तक की दो ६ नरेणा का इतिहास-डा. कैलाशचन्द जैन २१५ प्रतियाँ पाना प्रावश्यक है पुस्तक प्रकाशक या लेखक अने. १० खजुराहो के प्रादिनाथ मन्दिर के प्रवेशद्वार की कान्त में समालोचनार्थ प्रत्येक पुस्तक की दो प्रतियां भेजने ___ मर्तियां-मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी २१८ | का कष्ट करे। व्यवस्थापक 'अनेकान्त' ११ तीर्थङ्कर भगवान महावीर के २५००वे निर्वाण महोत्सव का उद्देश्य एव दृष्टि-रिषभदास २२२ १२ जैनधर्म के सबध में भ्रातिया एवं उनके निरा निवेदन करण का मार्ग-वशीघर शास्त्री १३ ब्रह्म जिनदास : एक अध्ययन-- प्रत्येक पुस्तक प्रकाशक और लेखकों से निवेदन परमानन्द जैन शास्त्री २२६ । है कि पुरातत्त्व अन्वेषक वीर-सेवा-मन्दिर की लायब्रेरी के १४ अपभ्रंश की एक अज्ञात जयमाला लिए अपने बहुमूल्य प्रकाशन भेट स्वरूप भेजने की कृपा डा० देवेन्द्र कुमार करें। साथ ही यदि महत्व के हस्तलिखित प्रप्रकाशित ग्रथ १५ कोषाध्यक्ष पत्रो और सेनापति हो तो उन्हे भी सुरक्षा की दृष्टि से भेजकर अनुगृहीत परमानन्द जैन शास्त्री करे। इस सम्बन्ध मे विशेष पत्र व्यवहार वीर-सेवा२६ साहित्य-सम.क्षा टा०पृ० ३ सम्पादक-मण्डल मन्दिर के मत्री महोदय से करे। व्यवस्थापक डा० प्रा० ने० उपाध्ये डा. प्रेमसागर जैन वीर सेवामन्दिर, दरियागज दिल्ली श्री यशपाल जैन परमानन्द शास्त्री २२४ पुरातत्व र प्रकाशन २२९ लिखित २३२ अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पैसा अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं हैं। -व्यवस्थापक अनेकान्त
SR No.538024
Book TitleAnekant 1971 Book 24 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1971
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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