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ऋ०
१.
२.
विषय-सू
विषय
शान्तिनाथ जिनस्तवन - मुनिपद्मनन्दि
शिल्प में सरस्वती की मूर्तियाँ मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी
३. शिलालेखों में गोला पूर्वान्वयपरमानन्द जैन शास्त्री
४. उपदेशीय पद — कविवर द्यानतराय
५. शोधकण श्री नीरज जैन
६.
कलचुरि कालीन एक नवीन जैन भव्य शिल्प कस्तूरचन्द 'सुमन'
७.
अभय कुमार — परमानन्द शास्त्री
८. पुनीत भागम साहित्य का नीतिशास्त्रीय सिंहावलोकन - ४० बालकृष्ण 'प्रकिचन' एम० ए० पी० एच० डी०
सम्पादक मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये डा० प्रेमसागर जैन
श्री यशपाल जैन परमानन्द शास्त्री
पृ०
अनेकान् का वार्षिक मूल्य ६) पका एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ सा
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२. विशाल कोति व प्रजित कीर्तिडा० विद्याबर जोहरा पुरकर
१२५
१०. श्रावक की ५३ क्रियाएं - वंशीधर एम० ए० १२६ ११. अपभ्रंश का जयमाला-साहित्य
डा० देवेन्द्रकुमार शास्त्री
१२.
प्रात्म विजय की राह - श्री ठाकुर १२. साहित्य समीक्षा - परमानन्द शास्त्री
१२१
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१३६
अनेकान्त के ग्राहकों से
मनेकान्त पत्र के ग्राहकों से निवेदन है कि वे धनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया मनोधार से शीघ्र भिजवा दें, धन्यया बी. पी. से १.२५ पैसे प्रषिक देना पड़ेगा ।
जिन ग्राहकों ने
अभी तक भी नहीं दोनों वर्षो का १२
अपने पिछले २ वर्ष का चन्दा भेजा है, वे अब २३वें और २४वें रुपया मनीग्रार्डर से अवश्य भिजवा
व्यवस्थापक 'अनेकान्त'
वीर सेवामन्दिर, २१ दरिया दिल्ली
पुस्तक प्रकाशकों से
जैन समाज में अनेक संस्थाएं जैन साहित्य का प्रकाशन कार्य कर रही हैं। वीर सेवा मन्दिर की लायब्रेरी अन्वेषक विद्वानों के लिए अत्यन्त उपयोगी है। अनेक खो-खोज करने वाले विद्वान अपनी थीसिस के लिए योग्य सामग्री बीर सेवा मन्दिर के पुस्तकालय से प्राप्त करते हैं। विद्वानों को चाहिए कि वे अधिक से अधिक लाभ उठावें । प्रकाशकों को चाहिए वे अपने-अपने प्रकाशन की प्रतियाँ भिजवा कर पुण्य लाभ लें ।
व्यवस्थापक
वीर सेवामन्दिर, दि दिल्ली
अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक मण्डल उत्तरदायी नहीं हैं।
स्थापना