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________________ "जंबू सामि चरिउ" में वर्णित गजरत्ता प्रदेश की स्थिति श्री रामवल्लभ सोमारपी "जब सामि चरिउ" वि० सं० १०७० में वीर कवि प्रदेश से सम्बन्धित बतलाया है। द्वारा विरचित किया गया था। इसका हाल ही में भारतीय (२) अल बरुनी ने नरेणा को गुजरात की राजधानी ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशन हुआ है। इसमे गुजरत्ता प्रदेश लिखा है। उसने इस नरेणा के दक्षिण में मेवाड़ और के सम्बन्ध में बडी महत्वपूर्ण सूचना दी है कि इसकी चित्तौड आदि माने हैं। स्थिति सपादलक्ष' के पास थी। वस्तुतः 'गुर्जरता' शब्द (३) मगलाना और डीडवाणा के लेखो मे स्पष्टतः का उपयोग घटियाले के वि० सं० ६१८ के लेख मे भी गुर्जर प्रदेश नाम दिया गया है। प्राता है जहां प्रतिहार राजा कक्कुक का वर्णन करते (४) "जब सामि चरिउ" मे भीनमाल को गुर्जर' समय लिखा गया है कि उक्त राजा के सच्चरित्र के कारण प्रदेश से भिन्न लिखा है जिसकी पुष्टि समसामयिक शिला'मरु माड़ वल्ल तमणी और गुजरात प्रदेश के लोगों का लेखो आदि से भी होती है जो भीनमाल क्षेत्र से प्राप्त हुए अनुराग मिला था। अतएव प्रश्न यह था कि इस लेख है। इनमे इस प्रदेश को "मरु मडल' लिखा गया है। . मे वणित “गुर्जरता" वस्तुत: वर्तमान गुजरात प्रदेश है (५) कुवलयमाला मे मरु प्रदेश को भिन्न लिखा है। अथवा अन्य । कठिनाई यह थी कि कुवलयमाला आदि में अतएव सपादलक्ष के पास वाले गुजरात और भीनमाल जालोर भीनमाल प्रदेश को गुर्जर मंडल प्रादि लिखा गया वाले गुजरात के मध्य मे मरु प्रदेश और स्थित था। है। इसके साथ ही साथ जोधपुर के उत्तर में स्थित मग- अतएव इस सारी सामग्री के आधार पर यह कहा लाना गांव के एक हवी शताब्दी के लेख मे उसको गुर्जर जा सकता है कि १०वी और ११वी शताब्दी तक मपादप्रदेश के अन्तर्गत लिखा है। इसी प्रकार प्रतिहार राजा लक्ष के पास गुर्जरत्ता नाम का एक भू भाग था और इसी भोज के ६०० वि० के ताम्रपात्र में "डीडवाडा" गाँव का संकेत कक्कूक के लेख में भी किया गया है। अतएव को गुर्जर प्रदेश के अन्तर्गत बतलाया गया है। अतएव जम्बू सामि चरिउ की सूचना महत्वपूर्ण है। क्या समस्त पश्चिमी राजस्थान के भू भाग को गुजरत्ता ३. नगरेसु सयं वुच्छो भुत्तु वा जाव गुज्जरत्ताए। ... की संज्ञा दी जाती थी अथवा यह एक व्यापक नाम था ____नागउराइसु जिणमंदिराणि जायाणि णेगाणि ॥१४॥ अथवा राजस्थान में गुजरत्ता नाम का एक अन्य प्रदेश ४. हिस्टी ग्राफ इडिया-(इलियट एण्ड जोनसन) और था। इस सम्बन्ध में कोई निश्चित जानकारी मिल Vol. I. ५८-६०) नहीं रही थी। अब इस ग्रथ की सूचना के अनुसार "गुर्ज- ५. "गुजरत्रा भूमौ डेण्डवानक विषयसम्बद्धसिवा प्रामारत्ता" प्रदेश सपादलक्ष के पास स्थित रहा होगा। इसकी ग्रहार....।" एपिग्राफिमा इडिका Vol. Vपृ. २७७ पुष्टि के लिए निम्नाकित सामग्री और है : श्रीमद् गुर्जरत्रा मण्डलान्तः पाति मंगलानक विनिर्गति.... (१) धर्मोपदेशमाला में नागोर प्रदेश को गुजरात (उपरोक्त) ६. "पच्छिमेणं थली मंडलं बालभं सोम सोरट्ट-कच्छ मह १. उत्तरेण य सायंभरी गुज्जरताए रवस बब्बर भिल्ल मालं विसाल च सोवण्ण दोणी सम । अन्बुयं लाडदेसं च मेवाड़-चित्तउड़ मालव य तलहारिय। पारि२. 'मरुमाण वल्ल तमणी परि अंका प्रज्ज गुज्जरित्ता सु' यत्तं भवंती तदा तावलित्ती भडं दुग्गमं । उत्तरेण य सायं [जरनल रायल एशियाटिक सोसाइटी १८९५ भरी गुज्जरत्ताए खस बब्बरं टक्क-करहाड-कसमीर पृ.५१३-५२१] हम्मीर कीरं तुरक्कं तहा ताइयं ।' जंबू. च. ६. १६,७-१८ टक्क..."
SR No.538023
Book TitleAnekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1970
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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