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________________ २६२, वर्ष २३, कि० ५-६ प्रस्तुत डायरेक्टरी का यह संस्करण विशेष महत्व पूर्ण है। इसमें जैन मन्दिर, जैन स्थानक, धर्मशाला पाठशाला, घोषचालय, पुस्तकालय प्रादि अनेक संस्थानों का परिचय कराया गया है। साथ ही केन्द्रीय सरकार के कार्यालयों, दिल्ली प्रशासन, नगर निगम एवं बैंक प्रादि में काम करने वाले जैनों का अलग अलग नाम निर्देश भी किया गया है। इसके प्रतिरिक्त जैनों द्वारा संचालित मनेक प्रकार के उद्योगों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों के परिचय के साथ ही प्रमुख वैज्ञानिक, साहित्यकार, मनेकान्त विद्वान् धौर समाजसेवियों का भी परिचय कराया गया है। इसके प्रारम्भ में दिया गया 'दिल्ली और जैन समाज : ऐतिहासिक अवलोकन' लेख खोजपूर्ण है । इस प्रकार से इसमें सभी महत्वपूर्ण विषय समाविष्ट हैं । यह गुरुतर कार्य सम्पादक के कठिन परिचक का सूचक है। इस सर्वोपयोगी प्रकाशन के लिए सम्पादक मण्डल व जैन सभा दिल्ली के अधिकारी प्रादि प्रतिशय धन्यवाद के पात्र है। पुस्तक की छपाई आदि भी पाक है। -सिद्धान्तास्त्री लक्षणावली के प्रथम भाग का प्रकाशन वीर सेवा मंदिर को स्थापना के कुछ ही समय बाद लक्षणावली के निर्माण और प्रकाशन की योजना बनी थी और उसके बाद अनेक विद्वान इसकी तैयारी में लगे रहे। जैन वाङ्मय के तीन सौ से अधिक विशिष्ट ग्रन्थों से जैन पारिभाषिक शब्दों के लक्षणों का मूल संस्कृत, प्राकृत में संकलन, सम्पादन, संयोजन और हिन्दी अनुवाद का श्रम और समय साध्य कार्य अनेक व्यवधानों के बाद भी चलता रहा। अब तक जो सामग्री संकलित हुई है उसके आधार से बड़े आकार के ३१२ पृष्ठों में स्वर भाग छप चुका है। पुस्तक रूप में इसका शीघ्र प्रकाशन होगा। अपनी प्रति के लिए लिखेंव्यवस्थापक : वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज, दिल्ली-६ वीर शासन संघ के महत्वपूर्ण प्रकाशन जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश : पृष्ठ संख्या ७४० सजिल्द कसाया सुप्त : मूलग्रन्थ की रचना भाज से दो हजार वर्ष पूर्व श्री गुणधराचार्य ने की, जिस पर श्री यतिवृषभाचार्य ने पन्द्रह सौ वर्ष पूर्व छह हजार श्लोक प्रमाण चूर्णिसूत्र लिखे । सम्पादक पं हीरालालजी सिद्धान्त शास्त्री, उपयोगी परिशिष्टों और हिन्दी अनुवाद के साथ बड़े साइज के १००० से भी अधिक पृष्ठों में । पुष्ट कागज और कपड़े की पक्की जिल्द । Reality मा पूज्यपाद की सर्वार्थसिद्धि का अंग्रेजी में धनुवाद बड़े माकार के ३०० पू. पक्की जिल्द जैन निबन्ध रत्नावली श्री मिलापचन्द्र तथा रतनलाल कटारिया : प्राप्ति स्थान : वीर सेवा मन्दिर २१, दरियागंज, दिल्ली-६ ... ... ५-०० २०-०० ६-०० ५-००
SR No.538023
Book TitleAnekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1970
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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