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________________ आगामी अंक के कुछ विशेष लेख विषय-सूची विषय पृष्ठ १. श्रीअरिष्टनेमिजिनस्तवनम्--प्राचार्य समन्तभद्र १६३ १. जैन विद्याप्रो के अध्ययम-अनुसन्धान की प्रगति के बढ़ते चरण । २. धनंजयकृत द्विसन्धान महाकाव्य -डा० प्रा० ने० उपाध्ये १६४ २. कौशल जनपद के प्राचीन जैन ती। | ३. जैन शिल्प मे सरस्वती की मूर्तियां । ३. भारतीय अनुमान को जैन ताकिकों की देन ४. भगवान महावीर के पच्चीस सौवे निर्माण महोत्सव -डा० दरबारीलाल कोठिया २० की अखिल भारतीय योजनाएं। ४. अपभ्रश शब्दों का अर्थ-विचार - डा. देवेन्द्रकुमार शास्त्री २१२ | वीर सेवा मन्दिर के सदस्यों को अनेकान्त भेंट : ५. कुलवलयमाला में उल्लिखित राजा अवन्ति वीर सेवा मन्दिर के द्वारा संचालित विभिन्न साहि-प्रो. प्रेमसुमन जैन २२१ | त्यिक और सास्कृतिक प्रवृत्तियो को गति देने और उनमे ६. शान्तिवर्णीकृत प्रमेयकण्ठिका सक्रिय सहयोग देने के लिए आप भी इसके सदस्य बन -डा. गोकूलचन्द्र जैन २२५ | सकते है । सदस्यो को सस्थान का मुखपत्र अनेकान्त भेट ७. पाराधनासमुच्चय का रचना-स्थल स्वरूप तथा प्रकाशित प्रस्थ निर्धारित कम मूल्य मे उप-पं० के० भुजबली शास्त्री २३४ लब्ध होते है। जिन सदस्यो का वार्षिक सदस्यता शल्क ८. तिलकमंजरी : एक प्राचीन कथा अभी तक नही पाया है, उनसे अनुरोध है कि यथा शीघ्र -डा. वीरेन्द्र कुमार जैन २३५ | भेजने का कष्ट करे । ६. ज्ञात कवियों की कतिपय अज्ञात हिन्दी रचनाएं। डा. गंगाराम गर्ग २४० व्याख्यानमाला १०. दक्षिण भारत से प्राप्त महावीर प्रतिमाएँ श्रमण संस्कृति तथा जैन धर्म के विषय में जिज्ञासा -श्री मारुतिनन्दन तिवारी २४२ दिनो-दिन बढ़ रही है। इस विषय में प्रामाणिक एव ११. वत्स जनपद का राजनैतिक तथा सांस्कृतिक पर्याप्त जानकारी दी जा सके, इस उद्देश्य मे श्रमण इतिहास -डा. शशिकान्त २४६ सस्कृति तथा जैन धर्म के विभिन्न मंगो-धर्म, दर्शन. १२. जैन दर्शन में आत्मद्रव्य विचार साहित्य, इतिहास, कला, पुरातत्त्व आदि विषयों पर एक -श्री मुक्ताप्रसाद जैनदर्शनाचार्य व्याख्यानमाला प्रायोजित की गई है। इसके अन्तर्गत क्रमश. १३. राजस्थान सेमिनार एक-एक विषय पर उस विषय के विशेषज्ञ एवं ख्याति ---प्रो. प्रेमसुमन, प्रकाश परिमल २५८ प्राप्त विशिष्ट विद्वानो के गवेषणापूर्ण तथा स्थायी महत्व १४. साहित्य-समीक्षा के व्याख्यान होगे। व्याख्यानमाला का शुभारंभ ७ मार्च १. भरत और भारत को मध्याह्न २ बजे, वीर सेवा मन्दिर में मुनि श्री विद्या२. मुसङ्गीत जैन पत्रिका ३. दिल्ली जैन डायरेक्टरी नन्द जी महाराज के मंगल प्रवचन द्वारा होगा। -पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री २६१ मयोजक : १० गोकुलचन्द्र जैन सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये भनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक डा. प्रेमसागर जैन मण्डल उत्तरदायी नहीं है। ~ व्यवस्थापक अनेकान्त श्री यशपाल जैन अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया परमानन्द शास्त्री एक किरण का मूल्य १ रुपमा २५ पैसा
SR No.538023
Book TitleAnekant 1970 Book 23 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1970
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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