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विषय-सूची
अनेकान्त को सहायता विषय १. जिनवर स्तवनम्-मुनि पद्मनन्दि
२१) श्री जगमोहनलाल जी जैन कलकना ने इक्कीस २. पावा कहां गंगा के दक्षिण में या उत्तर मे - रूपया अनेकान्त को सहायतार्थ सधन्वाद प्रदान किया मुनि महेन्द्रकुमार जी प्रथम
है, प्राशा है अन्य दानी महानुभाव इस ओर ध्यान ३. भारत मे वर्णनात्मक कथा सहित्य
डा. ए. एन. उपाध्ये एम. ए. डी. लिट् ६ नलपुर का जैन शिलालेख-पं. रतनलाल
व्यवस्थापक 'अनेकान्त कटारिया
वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज ५. जैन विद्वानों द्वारा रचित सस्कृत के शब्दकोश
दिल्ली। -अगरचन्द नाहटा
११५ ६. ढूंढाणी कवि ब्रह्म नाथू की रचनाएडा. गगाराम गर्ग
११६ ७. उद्बोधक पद-मंगतराम चिलकाना वासी १२१ ८. सम्राट् का अधूरा सपना -
अनेकान्त के प्रकाशन में बिलम्ब का श्री बाबू सुबोधकुमार
१२२ ६. दिल्ली पट्ट के मूल सघीय भट्टारक प्रभाचन्द्र
कारण -परमानन्द जैन शास्त्री
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अनेकान्त के इस प्रक का सितम्बर के अन्त में १०. मथुरा के सेठ मनीराम-परमानन्द शास्त्री १३१.
प्रकाशित करने की योजना थी। और मेटः भी प्रेस को दे ११. राजस्थानी लोककथानों मे अभिप्राय और कथानक
दिया था किन्तु मम्पादक के अत्यधिक बीमार हो जा, रूढियो की सीमा रेखाए-श्री रमेश जैन १३३
से वैमा न हो मका । सम्पादक ने तो बुखार । १२. १३वी शताब्दी के विद्वान हरिभद्र :
कमी होते ही पागे का मैटर भी तैयार कर के दिय' एक अध्ययन-परमानन्द शास्त्री
किन्तु पुन' बुखार ने जोर पकड़ा, और बंद्यो के इलार जाम्भोजी विष्णोई सम्प्रदाय और उनका
से कोई लाभ नहीं हुआ, तब वृष्णनगर के प्रसिद्ध ड साहित्य-डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल
अरोडा का इलाज किया, उसके परिणाम स्वरूप बुम एम. ए. पी. एच. डी.
नो चला गया परन्तु कमजोरी अत्यधिक हो गई है। १४. ब्रह्म यशोधर-परमानन्द शास्त्री
धीरे-धीरे पूरी होगी। १५. चतुर्माम मध्य विहार : प्राचार्य श्री तुलमी
व्यवस्थापक -मोहनलाल बाठिया
'अनेकान्त'
वीर सेवामन्दिर २१. दरिसम्पावक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये
दिल्ली। डा० प्रेमसागर जैन
श्री यशपाल जैन
परमानन्द शास्त्री अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया
भनेकान्त में प्रकाशित विचारो के लिए सम् एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पंसा | मण्डल उत्तरदायी नहीं है। -व्यवस्थापक अनेकान्त