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विषय-सूची
अनेकान्त के पाठकों से
पृ० २१वे वर्ष की गत किरण ५-६ युगवीर विशेषांक के १ तीर्थकर त्रय स्तवनम् ----पा० यतिवृपभ
साथ सभी ग्राहको का बापिक मूल्य समाप्त हो जाता . २ धनपाल की भविष्यदत्त कथा के रचनाकाल पर
है। यह २वे वर्ष की प्रथम किरण पाठको की सेवा में विचार-परमानन्द शास्त्री
| भेजी जा रही है। प्रेमी पाठकों से साग्रह अनुरोध है कि ३ निर्वाणकाण्ड के पूर्वाधार तथा उसके रूपान्तर- ।
वे अपना अपना वार्षिक शुल्क ६) रुपया मनीग्रार्डर द्वारा डा. विद्याधर जोहरापुरकर ।
[भिजवा कर अनुगृहीत करे । अन्यथा अगला अक वी. पी. ४ भारतीय दर्गनो मे प्रमाणभेद की महत्त्वपूर्ण चर्चा से भेजा जायगा। जिसमे १) रुपया अधिक देना होगा। -डा. दरबारी लाल कोठिया
व्यवस्थापक : 'अनेकान्त' ५ मुस्लिम युगीन मालवा का जन पुरातत्त्व
'वीरसेवामन्दिर' २१ दरियागंज, दिल्ली तेजसिंह गौड एम. ए. रिसर्चस्कालर ६ पण्डित शिरोमणिदास विरचित धर्मसार
डा. भागचन्द जैन ७ द्वितीय जम्बूद्वीप-प. गोपीलाल 'अमर' शास्त्री ।
दानवीर श्री साहू शान्तिप्रसाद जी एम. ए.
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द्वारा दो लाख रु० का दान ८ गोपाचल-दुर्ग के एक मृतिलेख का अध्ययन -डा. राजाराम जैन
दानवीर साहू शान्तिप्रसाद जी ने मैसूर विश्वविद्या6 ऊन पादागिरि के निर्माता राजा बल्लाल
लय में जन चेयर की स्थापना के लिए २ मई को सप्रू ५. नेमचन्द धन्नूसा जैन
हाउस नई दिल्ली में एक समारोह काग्रेस अध्यक्ष निज१० शुभचन्द्र का प्राकृत व्याकरण-डा. ए. एन.
लिगप्पा की अध्यक्षता में हुआ, जिसमे मैसूर विश्वविद्याउपाध्ये
लय के कुलपति डा० श्री माली को दो लाख रुपये का ११ जैन काव्यमे बिरहानुभूति-डा. गगाराम गर्ग ३३
चैक भेट किया गया। इसी अवसर पर डा० ए.एन. उपाध्ये १२ जैन कीर्तिस्तम्भ चित्तोड के अप्रकाशित शिलालेख
का भारतीय साहित्य संस्कृति की समृद्धि मे कन्नड़ के जैना. -श्री रामवल्लभ सोमानी, जयपुर ३६ चार्यों और साहित्य मनोपियो का योगदान' विपय पर १३ वमुनन्दि के नाम से प्राकृत का एक संग्रह ग्रन्थ :
महत्त्वपूर्ण भाषण हपा। साहूजी द्वारा जन संस्कृति के लिये ____ तत्वविचार-प्रो. प्रेममुमन जेन एम. ए. शास्त्री ३६
| जो कार्य किया जा रहा है वह महत्त्वपूर्ण तो है ही, साथ १४ साहित्य-समीक्षा-परमानन्द शास्त्री
ही उनकी विवेकशीलता और उदारताका परिचायक भी है।
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अनेकान्त का वाषिक मूल्य ६) रुपया एक किरण का मल्य १ रुपया २५ पंसा
सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये डा० प्रेमसागर जैन
श्री यशपाल जैन परमानन्द शास्त्री
अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पायक | महल उत्तरदायी नहीं है। -व्यवस्थापक मनेकान्त