SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 285
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय-सूची सूचना विषय पृष्ठ अनेकान्त के जिन ग्राहको ने वर्ष समाप्ति तक अपना १ सिद्ध स्तुति-पद्मनन्द्याचार्य २६५ वार्षिक चन्दा नही भेजा है, उनसे सानुरोध निवेदन है कि २ भारत मे वर्णनात्मक कथा साहित्य वे अपना पिछला वार्षिक मूल्य :) रुपया मनीमार्डर से डा०ए०एन० उपाध्ये भिजवा कर अनुगृहीत करे। ३ भगवान महावीर और छोटा नागपुर व्यवस्थापक 'अनेकान्त श्री सुबोधकुमार जैन २७५ वीर सेवामन्दिर २१. दरियागंज ४ जैन तीर्थकर की कुछ महत्वपूर्ण मृणमूर्तियाँ दिल्ली। श्री संकटाप्रसाद शुक्ल एम०ए० २७६ ५ प्राधुनिकता-अाधुनिक और पुरानी डा० प्रद्युम्न कुमार जैन २८० ६ राजस्थान के जैन सन्त मुनि पद्मनन्दी निवेदन परमानन्द शास्त्री २८३ ७ नरेन्द्रसेन-५० के० भुजबली शास्त्री जैन समाज के प्रतिष्ठित श्रीमानो, विद्वानो और २८७ जिनवाणी के प्रेमियो से निवेदन है कि वे वीर सेवा संदिर ८ रामपुरा के मंत्री पाथूशाह ___ डा० विद्याधर जोहरापुरकर २८८ लायब्ररी को अपने-अपने प्रकाशित ग्रथ भेट कर धर्म और ६ अमरकीति नाम के आठ विद्वान यश का लाभ ले । तथा विवाह-शादियो, पूजा-प्रतिष्ठा के परमानन्द शास्त्री उत्सवो और माननीय त्योहारो पर निकाले हए दान मे १० संस्कृत सुभाषितो मे सज्जन-दुर्जन से अनेकान्त के लिए भी आर्थिक सहयोग प्रदान करे। ___ लक्ष्मीचन्द सरोज २६० क्योकि अनेकान्त जैन समाज का प्रतिष्ठित एव ख्याति११ अनेक स्थान नामभित भ० पार्श्वनाथ के स्तवन् - प्राप्त पत्र है। उसको आर्थिक सहयोग करना जैन सस्कृति भवरलाल नाहटा २६४ की महती सेवा है। १२ पद्मावती-सिंघई प्रकाशचन्द्र एम०ए०बी०टी० २६७ व्यवस्थापक १३ काचन का निवेदन-मुनि कन्हैयालाल ३०१ वीरसेवामन्दिर २१ दरियागंज १४ शीलवती सुदर्शन (कहानी)-परमानन्द शास्त्री ३०२ दिल्ली १५ भाग्यशाली लकड़हारा-परमानन्द शास्त्री १६ चेतन यह घर नाहीं तेरी (गीत)-मन राम ३०७ १७ भगवान् महावीर का सन्देश ग्राहकों से डा० भागचन्द जंन मागेन्दु एम.ए.पी.एच.डी. ३०८ अनेकान्त की इस किरण के साथ २२ वे वर्ष के १८ अनेकान्त की वार्षिक-विषय-सूची ३११ ग्राहकों का वार्षिक मूल्य समाप्त हो जाता है। मंगला अक २३ वें वर्ष का प्रथमाक होगा। प्रत: ग्राहक महासम्पादक-मण्डल नुभावों से निवेदन है कि वे २३ वें वर्ष का वार्षिक शल्क डा० प्रा० ने० उपाध्ये मनीआर्डर से भिजवा कर अनुगृहीत करें। डा०प्रेमसागर जैन व्यवस्थापक 'अनेकान्त' . श्री यशपाल जैन वीर सेवा मन्दिर, २१ दरियागंज परमानन्द शास्त्री * दिल्ली। अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पादक अनेकन्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया मलाल उसरदायी नहीं हैं। -व्यवस्थापक अनेकान्त। एक किरण का मल्य १रुपया २५ पंसा
SR No.538022
Book TitleAnekant 1969 Book 22 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy