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२२०, वर्ष २२ कि० ५
अनेकान्त
रसिक अनन्यमाल में एक सरावगी जैनी का विवरण- वाचक वंश-मुनि दर्शन विजय ११५७६ श्री अगरचन्द नाहटा १५।२२६
वानर महाद्वीप (सपादकीय नोट सहित)राजगृह की यात्रा-न्या. पं दरबारीलाल जैन ८।१७५
प्रो. ज्वालाप्रसाद सिंहल ८।५४ राजघाट की जन प्रतिमार्य-नीरज जैन १९४६
वामनावतार और जैन मुनि विष्णुकुमारराजनापुर खिनखिनी की धातु प्रतिमाये-श्री बालचन्द
श्री अगर चन्द नाहटा १।२४७ जैन एम. ए. १५१८५
विक्रमी सवत की समस्या-प्रो. पुष्पमित्र जैन १४।२८७ राजपूत कालिक मालवा का जैन पुरातत्त्व
विजोलिया के शिलालेख-परमानन्द शा. १११३५८ तेजसिंह गौड़ एम. ए. वी. एड. २११३५
विदर्भ मे जैनधर्म की परम्परा-डा. विद्याधर जोहरापुरकर राजस्थान का जैन पुरातत्व-डा. कैलाशचन्द जैन
१८।१४६ १६।३१५
वीरशासन और उसका महत्त्व-न्या.पं. दरबारीलाल राजस्थान में दासी प्रथा-परमानन्द जैन १३१६६
कोठिया ५११८८ राजा खारवेल और हिमवन्त थेरावली-कामता प्रसाद
वीरशासनकी उत्पत्ति का समय और स्थान-संपादक ६७६ ५.६२१
वीरशासन जयती का इतिहास-जुगलकिशोर मुख्तार राजा एल-डा. विद्याधर जोहरापुरकर एम. ए. १६।२२६
१४।३३८ राजा खारवेल और उनका वंश -कामता प्रसाद ११२९७
वीरसेन स्वामी के स्वर्गारोहण समय पर एक दृष्टिराजा खारबेल और उनका वश-मुनि कल्लाण विजय
प. दरबारीलाल जैन कोठिया ८।१४४ ११२२६
वीर निर्वाण सवत् की समालोचना पर विचार-सपादक राजा खारवेल और हिमवन्त थेरावली-मूनिकल्याण विजय
४१५२६ ११३४२
वृषभदेव तथा शिब सम्बन्धी प्राचीन मान्यताएराजा श्रीपाल उर्फ ईल-पं. नेमिचद्र धन्नूसा जैन
डा. राजकुमार जैन १८।२३०, १८।२७६ १७.१२०
वृषभदेव तथा शिव सम्बन्धी प्राचीन मान्यतायेराजा श्रेणिक या विम्बसार का प्रायुष्यकाल-प. मिलाप
डा. राजकुमार जैन १६७४ चद्र कटारिया २०१८४
वैदिक वात्य और महावीर-कर्मानन्द ६।२३५ राजा हरसुखराय अयोध्याप्रसाद गोयलीय २१३३२
वैशाली (एक समस्या)-मुनि कान्तिसागर ६।२६७ राष्ट्रकूट काल में जैनधर्म-डा. अ. स. अल्तेकर १२१२८३
वैशाली की महत्ता-श्री पार. प्रार. दिवाकर राज्यपाल राष्टकट गोविन्द तृतीय का शासनकाल-श्री एम. गोविद 4.१०।२२२
विहार १११४१६ रावण पाश्वनाथ की अवस्थिति-अगरचद नाहटा ६।२२२ राष्टकट नरेश अमोघवर्ष की जैन दीक्षा-प्रो. हीरालाल शहडोल जिले में जैन संस्कृति का एक अज्ञात केन्द्रएम. ए ५।१२३
प्रो. भागचद जैन भागेन्दु २२१७१ रोपड की खदाई में महत्वपूर्ण ऐतिहासिक वस्तुओं की उप- शाति और सौम्यता का तीर्थ कुण्डलपुर-श्री नीरज जैन लब्धि-१३।१५६
१७१७३
शिलालेखोमे जैनधर्मकी उदारता-बा. कामताप्रसाद २८३ वघेरवाल जाति--डा. विद्याधर जोहरापुरकर १७१६३ शोषकण-(१ तीन विलक्षण जिन बिम्ब, २ पतियान दाई, वडली स्तंभ खण्ड लेख-श्री बालचन्द्र जैन एम. ए.
३ भगवान महावीर ज्ञातपुत्रथे या नागपुत्र? ) श्री बाबू १०।१५०
छोटेलाल जैन १५४२२४