SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ "अनेकान्त" में प्रकाशित रचनाएँ [१ ये रचनाएँ इस पत्र को अब तक को २१२ किरणों में प्रकाशित हैं, जिन्हें १० वर्गों में प्रकारादि क्रम से रखा गया है। २ रचना और उनके लेखक के बाद लिखे गये अंकों में प्रथम अंक वर्ष का प्रौर द्वितीय अंक पृष्ठ का सूचक है। ३ धारावाहिक रचनात्रों को प्राय: एक ही बार लिख कर उनके वर्ष और पृष्ठ के अंक अलग-अलग दिये गये हैं। ४ इन रचनामों के आधार पर निकाले गये कुछ प्रांकड़े और नतीजे, इसी अंक में प्रकाशित मेरे लेख "अनेकान्त" द्वैमासिक : एक दृष्टि में देखे जा सकते हैं। ५ इस सूची और (लेखक-सूची) को तैयार करने में मेरे प्रिय शिष्य सर्व श्री सत्यनारायण तिवारी, अरुण सराफ, अरुण भट्ट तथा अरविन्द जन प्रादि ने बहुत श्रम किया है, जिसके लिए उन्हें हृदय से आशीर्वाद देता हूँ।] १. सैद्धांतिक (धर्म, दर्शन, न्याय, व्याकरण) गोपीलाल 'अमर' १४१५६ अनेकान्त का नया वर्ष मम्पादकीय १११७० अज्ञान निवृत्ति, पं० माणिकचद न्यायाचार्य ६।२३३ अनेकान्त की मर्यादा, पं० चैनमुखदास ११२६ अतिचार-रहस्य, प० हीरालाल सि. शा० १४।२२१ अनेकान्त के इतिहास पर एक दृष्टि, बाबू कामताप्रसाद अतिथि संविभाग और दान, १० हीरालाल सि० शा० ११२५ अनेकान्त दृष्टि, प. देवकीनन्दन सि० शा० ११५६१ अदृष्टवाद और होनहार, श्री दौलतराम 'मित्र' ८।१६२ अनेकान्त पर लोकमत १११२४, १११८७, ११२५६, अदृष्ट शक्तियां और पुरुषार्थ, बा० सूरजभानजी २।३११ १ .३१५, ११४२२, ११५४६, ११६६६ अधर्म क्या है ?, श्री जैनेन्द्रकुमार जी २।१६३ अनेकान्त पर लोकमत २।१७७, २।२२५, २।२७४, २१३२५ अनेकान्त, महात्मा भगवानदीन ६।१४३ अनेकान्त के सर्वोदय तीर्थाक पर लोकमत ११११६७ अनेकान्त और पनाग्रह की मर्यादा, मुनि श्री गुलाबचन्द अनेकान्त माहात्म्य ११६५ १७.१२७ अनेकान्तवाद, मुनि श्री चौथमल २२२१ अनेकान्त और अहिंसा, पं० सुखलाल जैन ४।५४१ अनेकान्तवाद, सापेक्षवाद और ऊर्जाणुगामिकी अनेकान्त मौर प० प्रबादास शास्त्री, श्री क्षु० गणेशप्रसाद बा० दुलीचन्द जैन M.S.C. ११३१४३ वर्णी १०।१२२ भनेकान्त रसलहरी, जुगलकिशोर मुख्तार १०॥३ अनेकान्त पौर स्याद्वाद, पं० वशीघरजी व्याकरणाचार्य अनेकान्त की सहायता का सदुपयोग १११२४२ २।२७ अन्तरद्वीपज मनुष्य-सम्पादक २१३२६
SR No.538022
Book TitleAnekant 1969 Book 22 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1969
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy