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ग्वालियर के कुछ मूर्ति यंत्र लेख
परमानन्द शास्त्री
सुपार्श्वनाथ-२ च १ इंच
सं०११२५.........। १ चौवीसी पीतल-सं० १४३०......... ।
चौवीसी मूर्ति पातु-१ २ पीतल-सं० १४८६ वैशाख सुदि ६..-लेख घिस
सं० ११२० वैशाखसुदि २ गोपालरूपो गोल्ह-पौत्र गया पढ़ने में नहीं पाता।
पूना........। ३ चौवीसी धातु-सं० १५२० वैशाख सुदि ११ । काले पाषाण की पार्श्वनाथ की मति४ पातु मूर्ति-(घिसी हुई) सं० १५२४ ।
सं० ११२४ मिति ज्येष्ठ सुदी ५ पार्श्वनाथ मति धातु-स. १५४४ वर्ष वैशाख सुदि पार्श्वनाथ काले पाषाण...सोमे श्री मूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वति गच्छे सं० १४६० फाल्गुण सुदी ५ श्री काष्ठासंघे श्री गुणनन्दीसंघे श्रीकुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री जिन- कीति शिष्य यशः कीर्ति अग्रोतकान्वये.........पुत्र ववीचन्द्रदेव तत्प भ० विद्यानंदि मण्डलाचार्य श्री त्रिभु- जा भार्या थनो.........। वनकीति उपदेशात् सहेलवालान्वये साह ऊधा भार्या चन्द्रप्रभ मुख्यमूतिउदयसिरि तस्य पुत्र राम भार्या मनसिरि।
सं० १८२४ मिति फाल्गुण शुक्ला २ रविवासरे मूल वीसी पात-१ फट लम्बी ६ इंच चौड़ी-सं० संघे बलात्कारगणे सरस्वतिगच्छे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये गोपा१५२८ वर्षे ज्येष्ठ सुदि ८ सोमे काष्ठासंघे भ० मल- चल दुर्गे महाराज सुरेन्द्रभूषण विद्यमाने श्रमणाचल भ. (मलय) कीर्ति भ० गुणभद्राम्नाये जैसवाल पं० पदम- विजयकीति जिस्काय परमशिष्य पं० परमसुख भगीरथ सी भार्या रवीरा तत्पुत्र ५ सोनिग, दिनु, डालव, उपदेशानुसार प्रणमति नित्यम् । पदर्थ, मणघल प्रणमति प्रतिष्ठितं पदमसीह ।
इस मन्दिर में शास्त्र भण्डार भी है। परन्तु उसकी ७ पार्श्वनाथ मति धातु-साइज ६ इंच ऊंची ३ इंच व्यवस्था अच्छी नही है। कुछ ग्रथ दीपक ने खा लिए हैं।
चौड़ी सं० १३४३ वर्षे श्री शुभकीर्तिदेव, भार्या जदु वेठन भी अच्छे नहीं हैं और यदि वेठन है तो उन पर गत्ते पुत्र नरपति प्रणमति ।
नही है, जिससे उनका वन्धन ठीक हो सके। स्थिति से - धातु मति-२ इंच ऊंची डेढ़ इच चौड़ी-स० यह स्पष्ट पता चलता है कि समाज की अत्यन्त उपेक्षा १५२५ ।
है। जनता को धर्म से वह प्रेम नहीं है, जैसा पहले था। ६ पार्श्वनाथ मूर्ति धातु-५ इंच ऊंची, ३ इंच चौड़ी
प्राशा है ग्वालियर समाज शास्त्र भण्डार की उचित स० १४१० माघ सुदि १२ श्री मूलसंघे श्री पद्मनन्दि
व्यवस्था करेगी। यदि व्यवस्था नही हो सकती तो वहाँ देवाः श्री पौरपाटान्वये साहो गिल भार्या लखमसी
का शास्त्र भण्डार के ग्रन्थ वीर सेवा मन्दिर को भिजवा तस्य पुत्र खिउपति....."नित्यं प्रणमति ।
दें। यहाँ उस की समुचित व्यवस्था हो जायगी। १. पार्श्वनाथ-२ इंच ऊंची, १ इंच चौड़ी-सं०९२५ ११ पातु मूर्ति-२ इंच-१ इच-सं० १३५२ वैशाख वासुपूज्य पंचायतीमन्दिर ग्वालियर सुदि १२।
___इस मन्दिर में तीन वेदिका हैं, जिनमें प्रथम वेदी में १२ पातु मूर्ति पार्श्वनाथ-३ इंच ऊंची, २ इंच चौड़ी।
२८ मूर्तियां विराजमान हैं जिनमें १२ मूर्ति पाषाण की सं० १४०३ माघसुदि ५ भ० देवसेन अग्रोतकसाह
ह हैं, और १६ धातु की। कुल २८ मूर्तियां विद्यमान हैं। जसोजा पुत्र पाणि भा० परसाला.........।
उनमें कुछ मूर्तियों के लेख निम्न प्रकार हैं:पानाव-२ इंच ऊंची चौड़ाई १ इंच धातु सं०
___सं० १५३७ वैशाख सुदी १० काष्ठासंघे भ० गुण१५०८। पातु-२ इंच ऊंची १ इंच चौड़ी
भद्र जैसवाल सा० वी स्त्री वधती, पुत्रौ दो लखनसी सं० ११०५
वेणुसिरि पुत्र जी महेश बल्लसाह पुत्र सरूपा गुपाल,