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अनेकान्त
जगत्भूषण देवास्त तत्पट्टे भ० श्री विश्वभूषण देवास्तदा- १४ इंच । म्नाए इक्ष्वाकुवंशे गोलसिंघारान्वये सं० पोर्षे भार्या सं० १५२६ फाल्गुन सुदि १० मूलसंघे विद्यानन्दि केसरिदे पुत्र वैकुण्ठ भार्या विशो-देवसेन भा० धर्माव- देवा तद्दीक्षिता अजिका लग्न श्री......। तारी प्रताप भा० श्यामा वलिराम भा० घरमदे एतेषां मन्दिर फालके का बाजार लश्कर मध्ये सं० पोषे तेनेदं यन्त्र प्रतिष्ठा कारापितम् ।
नेमिनाथ, सं० १५०५ वर्षे वैशाख सुदि ७ बुधे श्री सम्यक् चारित्र यन्त्र
मूलसघे भट्टारक श्री जिनचन्द्र देवाः लंबकुचुकान्वये साधु सं० १६६४ वर्षे वैशाख...श्री मूलसंघे बलात्कारगणे श्रापात भाया सुशाला तयाः पुत्राः ।
श्रीपति भार्या सुशीला तयोः पुत्राः [षट्] दामोदर भ. श्री ज्ञानभूषणदेवास्तत्पट्टे भ० श्री जगत्भूषणदेवा
कमलसिंह उदेसिंह, यतीपाल, दिवाजित, महाजित तेषां स्तदाम्नाये गोलाराडान्वये सोहान गोत्रे संघाधिप रामचंद्र
मध्ये सा० महीपाल भार्या चुंदो द्वितीया भार्या सपूता, स्तदभार्या जया तयोः पुत्रास्त्रयः श्री लाला खरगसेन, पर
तयोः पुत्रा कुडकाले......होला तयोपुत्र नेमिदास, लउक
भार्या कोडो कमलसी सकला ते नित्यं प्रणमति सूत्रधारि शुराम, अगरमल तत्र खरगसेन भार्या परमलदेवी तयो
जाखा। पुत्राः ५ मकरन्द, कन्हरदास श्री चिन्तामणि पयग श्याम
इस नए मन्दिरमें अनेक ग्रंथ है। जिन्हे मिश्रीलाल दास, मकरंद भार्या राममति पुत्र ३ नामसाहि, संमेदी जी पाटनी प्रदर्शनी में दिखलाते है। कुछ सिक्कों का भी विहारी, कन्हर भा० कंचुनदे तत्पुत्र प्रताप किशनदास ।
संकलन है, पर वे अधिक पुराने और महत्वपूर्ण नहीं हैं । भिखानी प्रताप भा० ससजादी पु० चन्द्रमणि भा० चंपा
शास्त्र भंडार में कुछ खडित और कुछ अखंडित शास्त्र हैं । तत्पुत्र ३ भगवत, जीवन, सबलसिंधु पयागलता तद्भार्या
कुछ गुच्छक भी है । इन सबकी सूची तो है किन्तु वह व्यवकमल के पुत्र ३ गगाराम, भोगाजीत, श्मामदास भार्या
स्थित और प्रामाणिक नहीं है। उनमें कर्ता, टीकाकार, नागा तत्पुत्र गगदेव जयनाम तत्र एतेषां मध्ये श्यामदास
भाषा, रचना समय और लेखम काल, विषय, पत्र संख्या नित्यं प्रणमति ।
और भडार का नाम अवश्य रहना चाहिए । यदि अन्त मे चौबीसी धातु, साइज ६ इंच ऊची ५ इंच चौड़ी ग्रथ लिपि की प्रशस्ति हो तो वह सकलित होनी आव
सं० १५५२ वर्षे ज्येष्ठ सुदि २ सोमे श्री मूलसंघे श्यक है । पाटनीजी इस मन्दिर में रोज पूजा करते है और बलात्कार गणे सरस्वती गच्छे भ० श्री जिनचन्द्रदेवा भ० मन्दिर की सार-संभाल भी रखते ही हैं, उन्हें धर्मसे विशेष विद्यानन्दिदेवा श्री सा० प्रससार भा० संतसिरो पुत्र २ लगन है, सरलस्वभावी है। प्राशा है वर्धमान नवयुवक ज्येष्ठ पुत्र धरमू भा० सत्तुणा लघुभ्राता......। मण्डल लश्कर के तमाम मन्दिरो के मूर्ति लेखों और शास्त्र
अजितनाथ-पाणण सफेद ऊंचाई सवाफुट, चौड़ाई भंडारों को भी व्यवस्थित करने का यत्न करेगा।
अनेकान्त की पुरानी फाइलें अनेकान्त की कुछ पुरानी फाइलें प्रवशिष्ट हैं। जिनमें इतिहास पुरातत्व, दर्शन और साहित्य के सम्बन्ध में खोजपूर्ण लेख लिखे गये हैं। जो पठनीय तथा संग्रहणीय है। फाइलें अनेकान्त के लागत मूल्य पर ही दी जावेगी। पोष्टेन खर्च अलग होगा।
फाइलें बर्ष ८, ९, १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६, १७, १८, १९ २० तथा २१ की हैं। अगर माप ने अभी तक नहीं मंगाई है तो शीघ्र मंगवा लें। ये फाइलें अनुसंषातामों, और थीसिस लिखने वाले विद्वानों के लिए बहुत उपयोगी है। प्रतियां थोड़ी है, अतः जल्दी करें।
मैनेजर 'अनेकान्त' वीर सेवामन्दिर, २१ परितागंज, दिल्ली