SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंडित अजितकुमार जी का आकस्मिक वियोग १० अजितकुमार जी शास्त्री पद्मावती पुरवाल जाति के उच्चकोटि के समाजसेवी विद्वान थे। उनका जन्म चावली जिला आगरा मे हुया था । अध्ययन के बाद वे मुलतान चले गय थे । वहा उनका प्रकलक प्रेस था । मुलतान जैन समाज में उनका अच्छा सम्मान था। वे हिन्दुस्थान पाकिस्तान बटवारे के समय अपना प्रेस लेकर पहले महारनपुर याय थे और बाद में देहली। दिल्ली में उनका अभय प्रेम चलता है। शास्त्रीजी बड़े परिश्रमी सुयोग्य लेखक और विचारक थे । आपने ग्रार्य ममाजियो के खडन में पुस्तक नियी थी, नथा वेताम्बर मत समीक्षा, दैनिक जैनधर्मचर्या, विधिका विधान, तात्विक विचार, जैनधर्म परिचय यादि अनेक पुस्तकं भी लिखी है । जैनबधु और जैनदर्शन पत्रों का प्रकाशन भी किया किया। भा० दिगम्बर जैनसघ के वे मदम्य रहे। आर्य समाज से होने वाले शास्त्रार्थों में बगवर योग देते रहे। वर्षो मे वे जैन-गजट के सम्पादक थे। वे प्राचीन पोटो के विद्वान थे। उनकी लेखनी मरल और भाषा मुहावरेदार थी। वे वीग्मेवामन्दिर की कार्यकारिणी के भी सम्मानित मदम्य थे। उनके अकस्मान निधन में जो भार्ग क्षति हुई है उसकी पूति होना मभव नही है। पाप अपने पीछे पत्नी, एक पुत्री और एक पुत्र अविवाहित छोट गा है। उनके वियोग में दि० जन लाल पं० प्रजितकुमार शास्त्री मन्दिर में अनेक मस्थायी---भा० दि० जैन महामभा, दि. जैन परिषद्, वीर मेवामन्दिर, जैनमित्र मण्डल, भारत-जैन महामण्डल, जैन मगठन सभा, गास्त्री परिषद्, मुल्तान जैन समाज, पद्यावती पुग्वाल जैनपचाटन और पाश्वनाथ जैन युवक मण्डल आदि-की ओर से प्रायोजित सभा में जो नवभारत टाइम्स के प्रधान सम्पादक अक्षय कुमारजी जन की अध्यक्षता में हुई थी, उनके जीवन परिचय और ममाज-सेवा का उल्लेख करते हुए उक्त मम्था मचालको ने अपनी भावभरी श्रद्धाजलि अर्पित की थी, अनेक विद्वानों के माथ वीर सेवामन्दिर के मयक्त मत्री बाबू प्रमचन्द जैन कश्मीर वालो ने भी वीर सेवामन्दिर की ओर से अपनी हादिक श्रद्धाजलि अर्पित की। हम अनेकान्त परिवार को पोर में दिवगत ग्रान्मा के लिए यान्ति की कामना करते हा शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी हार्दिक समवेदना प्रकट करते है। वीरशासन जयन्ती इस वर्ष वीरशासन जयन्ती १० जुलाई बुधवार के दिन मन् १६६८ को अवतरित हुई है। अन्य वर्षों की भाति इस वर्ष भी वीरशासन जयन्ती का महोत्सव १० जुलाई को बीर मेवामन्दिर २१ दरियागजमे प्रात काल मनाया जावेगा । सर्व महानुभाव पधार कर धर्मलाभ ले । -सं० प्रेमचन्द जैन
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy