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________________ २७६ प्रकान्त समन्तभद्र के मूल्याङ्कन और भट्टारकों की यथार्थ स्थिति निधन से इतिहास का एक अध्याय लुप्त हो गया है की प्रस्तुति के कारण भारतीय दर्शन और जैन जगत् उन्हे उनकी महान् साधना और कार्यों के प्रति मेरी विनम्र उन्हें और उनकी सत्यगवेषणा की प्रवृत्ति को कभी नहीं श्रद्धाञ्जलि अर्पित है। जिनेद्रदेव से प्रार्थना है कि मुख्तार भूल सकता। वे बहुज्ञ, बहुश्रुत और बहुभाषाविद् तो थे श्री की दिवंगत आत्मा उत्तरोत्तर उत्कर्ष प्राप्त करे । ही, मेरे विचार में वे व्यक्ति से बढ़कर स्वयं में एक वर्णी स्नातक परिषद् ने अपनी दि० २६-१२-६८ की आदर्श और मूर्तमान संस्था थे। उनकी खोज में पौर्वात्त्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में (अतिशय क्षेत्र कोनी, और पाश्चात्त्य-दोनों देशों की समीक्षा पद्धति का अद्भुत जबलपुर में डा० हरीन्द्रभूषण जैन, विक्रम विश्वविद्यालय सम्मिश्रण हुआ है। काश! समय के साथ हम उनका की अध्यक्षता मे निष्पन्न) सर्वसम्मति से प० जुगलकिशोर समुचित मूल्याङ्कन कर पाते। उनके निधन से समाज, जी मुख्तार पर शोध कार्य प्रस्तावित कर सच्ची श्रद्धासस्कृत और इतिहास की महान् क्षति हुई है। उनके लि अपित करने का उपक्रम किया है। युग-युग तक युग गायेगा, 'युगवीर' कहानी । किया दूध का दूध और पानी का पानी ।। पाई एक हिलोर सभी डगमगा गये थे, नहीं प्रज्ञ की बात विज्ञ सकपका गये थे। धर्म-कर्म को प्राडम्बर से, खूब सजाया, रचे प्रन्थ पर प्रन्थ, लिखा जो जी में प्राया। पर सत्य पारखी, तेरी सत्य कसौटी हो तो, बन पाई थी सत्य-स्वरूपा ग्रन्थ निशानी ॥ किया दूध का दूध और पानी का पानी ॥ हेहे उन्नत भाल, भाल उन्नत कर डाला, सूक्म दृष्टि से खोज-खोज इतिहास निकाला। नहीं लेखनी विकी सुकी लक्ष्मी के आगे, तुमको पाकर भाग्य सरस्वती के ये जागे । हे सवाचार की मूर्ति, मनजता के अवतारी, समन्तभद्र के भक्त और उनके ये ध्यानी।। युग-युग तक युग गायेगा, 'युगवीर' कहानी। ऊंच-नीच के भेदभाव को गांठें खोलो, प्रेम-भाव से रहो, बढ़ो अमृत रस घोलो। सबके सुख में सुख तुमने अपना दर्शाया, धर्म-कर्म से ऊपर, मानव धर्म बताया । गूंज रही है आज हृदय में तेरी वाणी, 'मेरी भावना' के भावों को अमर कहानी। किया दूध का दूध और पानी का पानी। जयन्तो प्रसाद शास्त्री युग-युग तक युग गायेगा 'युगवीर' कहानी।
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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