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________________ प्रगतिशील पं० दरबारीलाल जी कोठिया जैन समाज के वरिष्ठ विद्वान न्यायाचार्य १० दरबारीलाल जी कोठिया एम. ए. ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से "जैन तर्कशास्त्र में अनुमान पर विचार : ऐतिहासिक एवं समीक्षात्मक अध्ययन" विषय पर शोध प्रबन्ध प्रस्तुत कर पी एच. डी. को सम्मानित उपाधि प्राप्त की है । कोठिया जी न्याय शास्त्र के मूर्धन्य विद्वान है। उनके इस निबन्ध से जैन न्याय के क्षत्र में कार्य करने वाले विद्वानो को दिशाबोध के साथ जैन न्याय के सम्बन्ध मे प्रस्तुत किये गये विशेष चिन्तन को विशेषतानो का भी परिज्ञान होगा। डा. कोठिया जी ने भारतीय अनुमानके चिन्तन में एक नई दृष्टि प्रदान की है। **************** **************** डा० दरबारीलाल कोठिया न्यायाचार्य एम. ए. पी-एच. डी. कोठिया जी अध्ययनशील, कर्मठ एव प्रतिभाशाली विद्वान है । आप ग्रन्थ-शोधन, सम्पादन तथा तुलनात्मक और समीक्षात्मक अध्ययन में लगे रहते है। उनके द्वारा सम्पादित अनुवादित न्यायशास्त्र के दो ग्रन्थ (न्यायदीपिका और प्राप्तपरीक्षा) वीरसेवा मन्दिर से प्रकाशित हो चुके है। जैन न्याय के क्षेत्र मे उनको यह शोधात्मक पहली कृति है । डा. कोठिया जी के इस उत्कर्ष के लिए वीर सेवामन्दिर और अनेकान्त परिवार अभिनन्दन करता है। श्री कोठिया जी ने जो अष्टसहस्री और श्लोकवातिक ग्रन्थों के सम्पादन कार्य को हाथ मे लिया है वह स्तुत्य है । आशा है आधुनिक पद्धति से सुसम्पादित होकर दोनो महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ शीघ्र ही प्रकाश मे मा जायेगे। वर्तमान मे ये दोनों ग्रन्थ अलभ्य भी हो चुके है।
SR No.538021
Book TitleAnekant 1968 Book 21 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size17 MB
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