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विषय
विषय-सूची
वीर-सेवा मन्दिर को सहायता क्रमांक १. स्वयंभू स्तुति-मुनि पद्मनन्दि
दानवीर-थावक शिरोमणी श्रीमान् साहू शान्तिप्रसाद २. दर्शन और विज्ञान के परिपेक्ष्य मे स्याद्वाद
| जी ने इस वर्ष पर्युपण पर्व दिल्ली मे मनाया । जिन पूजन, और सापेक्षवाद-मुनि श्री नगगज
स्वाध्याय और तत्त्वचर्चा मे अपना समय व्यतीत किया। ३ अपनत्व-मुनि कन्हैयालाल
साह जी जहां उद्योगपति है वहाँ वे दानी और विवेकी भी ४. मथुरा के सेट लक्ष्मीचन्द सम्बन्धी विशेष
है। वर्तमान जैन समाज में उनके समान विचारक, विवेकजानकारी-अगरचन्द नाहटा ११०
शील और ममदार व्यक्ति अन्य नही दिखाई देता। वे ५. जैन ग्रन्थों में राष्ट्रकूटो का इतिहास
तीर्थभक्त है, जैन तीर्थों के सरक्षण और सवर्द्धन मे क्रिया. गमवल्लभ सोमाणी
शील है। उनकी पत्नी श्रीमती रमागनी भी धार्मिक और दर्शनोपयोग व ज्ञानोपयोग : एक तुलनात्मक
सामाजिक कार्यों में बराबर भाग लेती रहती है। माहजी अध्ययन–१० बालचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री ११६
ने दिल्ली की प्रत्येक जैन संस्थानों की एक हजार एक
और दिल्ली के सभी जैन मन्दिरों को एक सौ एक रुपया कवि छीहल-प० परमानन्द शास्त्री १२६
प्रदान किये है। बीरसेवामन्दिर को भी एक हजार एक ८. कुलपाक के माणिक स्वामी-प.के. भुजबली
सधन्यवाद प्राप्त हुआ है । साहू साहष वीरसेवामन्दिर के शास्त्री
स्थायी अध्यक्ष है। आशा है वीर सेवामन्दिर पर उनका १. कवि टेकचन्द रचित श्रेणिक चरित और
यह वरद हस्त बराबर बना रहेगा। जिससे सस्था अपने पुण्याश्रव कथाकोप--श्री अगरचन्द नाहटा १३४
उद्देश्यो की पूर्ति करने में समर्थ हो सके । १०. महावीर वाणी-कवि दौलतराम
व्यवस्थापक 'वीरसेवामन्दिर' ११. सीया चरिउ : एक अध्ययन-परमानन्द
२१ दरियागंज, दिल्ली
शास्त्री
१३७
१२. साहित्य-सगोष्ठी विवरण
१४४
सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये डा०प्रेमसागर जैन
श्री यशपाल जैन परमानन्द शास्त्री
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व्यवस्थापक : 'अनेकान्त'
२१, दरियागंज, दिल्ली।
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