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________________ प्रलोप पाश्र्वनाथ-प्रामाद का तक्षण अत्यन्त भव्य है। नृत्यमण्डप में नर्तकियो का अंकन अनिवार्य माना गया है सूचित प्रासाद इसका अप। वाद नही। "गीत वाद्य तथा नत्य संगीतंत्रयमच्यते" के भाव ये सुन्दरिया साकार किए है। वितानकी शालभंजिकाए अब नीं रही। भित्ति पर पर्यटक संकेत सभामण्डप त्रिद्रिक खुला है। दीवारो पर पलस्तर कर मेवाड शैली के चित्र अकित किए है, शेष स्थानों में पर्यटको के सकेत है इतिहास की दष्टि से इनकी उपयोगिता है प्रतः इन्हे उद्धृत करना आवश्यक है :१ संवत १६५० वर्षे ज्येष्ठ सदि८ भौमे गांधर्व ठा० बिहारीदास सा. जी दोसी मानसिंग लक्ष्मीचंद सराडा ए सहसाथी भट्टारक श्री क्षेमचन्द्र साथी श्री नागदा पारस्वसनाथ जात्रा सफल कीधी ... ... २ महाराजाधिराज महाराणा श्री अमरसिंह जी, सवत् १७५० चैत बदी १ ए पंचौली गधर्व सन्दर जी रामचन्द्र गंधर्व पारसनाथ जी जात्रा कीधी। ३ ... सुतार गाजी जी एत बेटा टीला राज श्री उदेपुर जात पूरव्या देहरे काम करी जात्रा गया, सुतार नान जी को श्री राणां राज सिंघ जी।। क वर जेसिंघ जी ... सोवन की पालखी प्रतें लि पेथा ॥ ४ सम्वत सिंघ श्री अलोपपारस्वसनाथ जी रा देवरा कमाई भेटवा पर ले जी करावी पाने नवलषागोत्रे बाई जी श्री मेणकबाई जी करावीमा सम्वत १७१३ वर्ष प्राषाढ़ वद ७ सुतरगा जो जसतर ... ... कीर्छ । ५ संवत १७६४ वर्षे माहमासे कृष्णपक्षे तिथौ - गुरुवासरे पारसनाथजीको जात्रा सफल की थी, श्री विजयगच्छ महषि · ..'सौभागयसागर सरी जी रिषि रूपजी रिषि हेमा... 'प्रादीया रिषि बलदेव ...रिषि प्रानन्द जी। ६ सम्बत् १७६६ वर्षे फागण सदि ५ बधवासरे श्रीचंत्रगच्छे ठाणे पाठसुं रिषि छीतरजी शाम जी भाणोजी गिरधर जी सन्दर जी लाभानन्द जी षडगोजी मोजी प्रतरा ठाणे प्रातरा प्रलोप पारसनाथ जी री सफल, मौना भेद भणे जने चीतोडारा पाप. वांचे जिणे वदना धर्मलाभ । ७ सम्वत १७६६ वर्षे मागसर वदि ६ दन्ये गरु लालचन्द देवचन्द गुलाब चन्द मयाचन्द फलजी पुस्त बलोप पारसनाथ जी मात्रा सामल कीधी ...। ८ संवत १७७३ प्रवर्तमाने चैत्रमासे कृष्णपक्षे एकादशी बुधवासरे भट्टारक श्री १०८ विश्वभूषणस्तत्पट्टे भट्टारक श्री १०५ सुरेन्द्र भूषण त० शिष्येण ब्र० कपूरचन्द्रण। है सम्वत १७६८ वर्षे पोप वदि ५ दिने भ० श्री जिनहर्षसरी जी लषित महामहोपाध्याय श्री हीरसागर गणि षेमचन्द जी जात्रा कीधी। इन म केनो के अतिरिक्त बिना काल के भी मनक लेख है। स्तम्भ लेख गर्भगृह मन्मुख एक नम्भ पर विमति पद्मामन और खड़गामन मे उत्कीरिणत, प्रतिमाएं अनावत है। कोरगी में दो लेख खुदे हैं, पठिनाश इस प्रकार है .-- १॥ ५० ॥ स्वस्ति श्रीमलसंघेजनि नंदि २ संघे तस्मिन बलात्कारगणति रम्ये ३ तदभापूर्वपदांश बेदि श्री माघनंदि ४ नरदेववद्य श्री अनन्तकोतिदेवा ... ... द्विरी प ५ दे काका ... ... पित सा० भीमा पत्र ६ लेबु टाली ... ' पुत्र मोहण पासा ७ ताल्हण भदाला जाला ... ...
SR No.538020
Book TitleAnekant 1967 Book 20 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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