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________________ २५४ अनेकान्त गाजी के मड की कबर बनाई जाती है, इससे और मृत्यु हुई। अगर बाण से राजा की मत्यू होती, तो पंच सलमानी कथा से रहमान दुल का सिर खेरला मे ही पीरो से उसका पकडे जाना और स्वाभिमानी मरण यह काटा गया था और उससे उनकी हार हो रही थी। लेकिन घटना झूठी ठहरती । लेकिन राजा के वैसे मरण का स्पष्ट ऐसा लगता है कि उसको मा बीबी मलिका-ई-जहान ने उल्लेख होने से बाण से मृत्यु की कल्पना ठीक नही बैठती। उस समय धैर्य रख कर अपनी सैन्य को उत्तेजित करते जंचता तो ऐसा है कि जब पचपीरो से राजा पकड़ा जा हए कहा होगा कि "अल्ला की आवाज आने से और रहा था, तब एक पीर राजा से आए हुए तीर से घायल अपने को विजय मिलने के लिए दुला रहमान ने अपना हो पडा हो, इमीलिए वह स्थान मुस्लिम लोग पूज्य सिर कटा लिया है और वे दाद मांगने के लिए अल्ला के मानते है। दरबार मे पहुँच गये है। तब क्या आप भाग जानोगे ? इस बात पर विश्वास तो जरूर रखना पड़ता है कि क्या काले मुह वहाँ बतायेगे? क्या आपकी प्रतिज्ञा--- उन पीरो के द्वारा राजा किसी भी तरह पकडा गया और जियेंगे तो इस्लाम के लिए, और मरेगे तो इस्लाम के इस गंधवार्ता को सुनते ही बीबी मलिका ने बचे हुए लिए-आप भूल गये? जय जिहाद की पुकार करो और सैनिको से फिर एकदम हमला कर नगर को कब्जे में कर लडो । अल्ला आपकी मदद करेगा।" लिया हो और विजय की पताका फहगई हो। इम तरह आवाज सुन कर मुस्लिम सैन्य उत्तेजित हई, और रहमान गाजी के गिरने से उनके सैन्य की घब. ऐमी असहाय स्थिति में ईल राजा को इस..:म का डाहट देख कर राजा ईल के सैनिक गाफिल रहे होगे। उपदेश दिया गया । मगर उससे ऐसी स्थिति मे भी स्पष्ट अचानक बीबी मलिका ने उनपर कडाके से हमला किया। नकार पाने से राजा को पूछा गया कि अगर आप विजयी __ अबकी बार ईल राजा के सैनिक पीछे हटे । पीछ। होते और अब्दुल रहमान आपके हाथ पड़ता, तो आप क्या हटने से शायद गजा का सेनापति मारा गया होगा। इस करते ? लिए गजा के सैनिक नेतृत्व के अभाव के कारण एलिचपूर जबाब वही मिला, जो कि ऊपर दिया गया है । धन्य भाग पाये। और इनका पीछा करते हुए मुसलमानो ने है वह राजा, जिमने शरीरपर की खाल उतारनेकी अनन रास्ते में जो मिला उनको लूटा और नष्ट भ्रष्ट किया। वेदना सहन की मगर सच्चे धर्म का परित्याग नहीं किया। जिसने इस एक जीबन का नाश मान्य किया मगर अनत एलिचपुर में मुसलमानो के ग्यारह हजार मैनिक मारे भवो मे दुःखदाई ऐसा भयावह परधर्म नहीं अपनाया । गए, इसपर से ऐसा लगता है कि वहाँ ईलराजा का नेतृत्व इमी का नाम धर्मप्रेम है और इसी का नाम सम्यकत्व है। उचित रहा । शायद इस युद्ध मे ईल गजा ही विजयी हुआ होगा। वयोकि लड़ाई मे पराजित होनेवाला और आश्रय उस धर्मनिष्ठ और वीर राजा श्रीपाल उर्फ ईल को हमारा के लिए शहर मे भागनेवाला राजा पकड़े जाने पर वीरश्री प्रणाम । उसके जीवन से हमे यही सदेश मिलता है कि, पूर्ण तथा स्वाभिमानी उत्तर नहीं दे सकता था। वीर युद्ध अात्महितेच्छु जीव किसी भी परिस्थिति में धर्म का त्याग मे ही मरण स्वीकार करते है। अतः युद्ध मे सरलता से नहीं करते। उलटा प्रसंग बीतने पर प्राण की बाजी लगा विजय न मिलती देख बीबी मलिका ने युद्ध को समाप्त कर धर्म की रक्षा करते है। तो क्या अभी हम उसी ईल राजा के निर्माण किये हुए इस श्रीअतरीक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ होने की घोषणा कर कूटनीति अपनाई होगी। की रक्षा नही कर सकेंगे? करेंगे, करेंगे, अवश्य ही करेगे। एलिचपुर के कमानपुरे मे एक देवडी में बाण की निशानी बताई है। यह स्थान मुसलमान पूज्य मानते है। १ दुला रहमान की कबर एलिचपुर में है, इसका अर्थ बाण की निशानी गाँव मे से बाहर की ओर बताई है। यही कि उसके शव को वहाँ गंज शहीदा के पास जनश्रुति तो यह है कि यहाँ ईल राजा की बाण लग कर दफना दिया है।
SR No.538020
Book TitleAnekant 1967 Book 20 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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