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________________ श्री बा. नानालाल के. मेहता एडवोकेट का महत्वपूर्ण पत्र श्रीमान्, समय की गति बदल रही है, बम्बई भारत का विशाल नगर है, यहाँ पर मैं देखता हूँ', हर शख्स सुख प्राप्ति के लिये शुभ समग्री प्राप्त करने को दौड़ता है, परन्तु इतने पर भी वह सुख प्राप्त नहीं कर सकता, क्योकि मुख कहा है, कैसा है, व कैसे प्राप्त हो सकता है यह वह समझता ही नही है क्योकि उमे विद्वानो द्वारा ऐसा उत्तम साहित्य और उपदेश प्राप्त नहीं होता है, अभी दीपावली के शुभ अवसर पर मैंने एक क्रश्चियन को उसके धर्म का साहित्य मुफ्त पाम बाजार में बाटते हुए देखा और उसने मुझे भी दिया, परन्तु जो जैन समाज गौरव के साथ दीवाली भगवान श्री महावीर के निर्वाण का पवित्र त्योहार मनाती है, वह भगवान के सदेश का जो कि जन समाज के सुख का कारण बन सकता है, जन समाज के नजदीक पहुँचाना ही नहीं चाहती, इस युग में अपने व आम लोगों के हित के लिये जैन साहित्य का प्रचार होना बहुत ही प्रावश्यक है प्रतः आप से निवेदन है कि आप इस विषय मे-अपने "अनेकान्त" पत्र में कुछ सामग्री प्रकाशित करने की कृपा करेगे। अनेकान्त" पूरे जैन समाज का एक बहुत ही उच्च कोटि का पत्र है जो हमारे सामने बड़ी मेहनत और परिश्रम के साथ साहित्य सामग्री प्रस्तुत करता है ऐसे श्रेष्ठ व उत्तम पत्र को हर शख्सने मगाकर इसे उन्नति पर पहुँचाना चाहिए। मैं इस नये वीर सवत् २४६४ के उपलक्ष मे प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि वह हम सबको सद्बुद्धि प्रदान करते हुए हमारे "अनेकान्त" पत्र के प्रचार की खूब खूब वृद्धि करे । वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता । १५०) श्री जगमोहन जी सरावगी, कलकत्ता १०००) श्री देवेन्द्र कुमार जैन, ट्रस्ट, १५०) , कस्तूरचन्द जो प्रानन्दीलाल जी कलकत्ता श्री साहु शीतलप्रसाद जी, कलकत्ता १५०) , कन्हैयालाल जी सीताराम, कलकत्ता ५००) श्री रामजीवन सरावगी एण्ड सस, कलकत्ता १५०) , ५० बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता ५०. ) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता १५०), मालीराम जी सगवगी, कलकत्ता ५००) श्री नथमल जी सेठी, कलकत्ता १५०), प्रतापमल जी मदन लाल पांड्या, कलकत्ता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मचन्द जी, कलकत्ता १५०), भागचन्द जी पाटनी, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कलकत्ता १५०) , शिखरचन्द जी मरावगी, कलकत्ता २५१) श्री रा० बा० हरखचन्द जो जैन, राची १५०) , सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ जी कलकत्ता २५१) श्री अमरचन्द जी जैन (पहाड्या), कलकत्ता १०) , मारवाड़ी दि. जैन समाज, व्यावर २५१) श्री स० सि० धन्यकुमार जी जैन, कटनी १०१) ,, दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी २५१) श्री सेठ सोहनलाल जी जैन, १०१) , सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं०२ मैसर्स मुन्नालाल द्वारकादास, कलकत्ता १०१) , लाला शान्तिलाल कागजी, दरियागंज दिल्ली २५१) श्री लाला जयप्रकाश जी जैन १०१) ,, सेठ भंवरीलात जी बाकलीवाल, इम्फाल स्वस्तिक मेटल वर्क्स, जगाधरी १०१) , शान्तिप्रसाद जी जैन, जैन बुक एजेन्सी, २५०) श्री मोतीलाल हीराचन्द गांधी, उस्मानाबाद नई दिल्ली २५०) श्री बन्शीवर जो जुगलकिशोर जी, कलकत्ता १०१) , सेठ जगन्नाथजी पाण्डया अमरीतलैया २५०) श्री जुगमन्दिरदास जी जैन, कलकत्ता १०१) , सेठ भगवानदास शोभाराम जी सागर २५०) श्री सिंघई कुन्दनलाल जी, कटनी (म.प्र.) २५०) श्री महाबीरप्रसाद जी अग्रवाल, कलकत्ता १०१) , बाबू नृपेन्द्रकुमार जी जैन, कलकत्ता २५०) श्री बी. पार० सो० जैन, कलकत्ता १००), बद्रीप्रसाद जी प्रात्माराम जी, पटना २५०) श्री रामस्वरूप जो नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता १००), रूपचन्द जी जैन, कलकत्ता १५०) श्री वजरंगलाल जो चन्द्र कुमार जी, कलकत्ता | १००) , जैन रत्न सेठ गुलाबचन्द जी टोंग्या १५०) श्री चम्पालाल जी सरावगी, कलकत्ता इन्दोर
SR No.538020
Book TitleAnekant 1967 Book 20 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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