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________________ पंडित भगवतीप्रमाद कृत वैद्यविनोद के पहले वे एक छोटासा उपन्याम 'चैताली घग्नी' पुरस्कार मिला। (चैत का नूफान) भी लिख चुके थे, जो इन्होने बाद में १६५६ मे मी उपन्याम पर माहित्य अकादेमी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को समर्पित किया। नेताजी पुरस्कार प्राप्त हया। से इनका परिचय नया-नया ही हुआ था। मन् १९५६ मे भारत मरकार के दो प्रतिनिधियो में जेल में रहते हुए आपने जेल जीवन पर ही एक मे एक के रूप मे नाग बाबु को चीन भेजा गया, किन्तु अन्य उपन्याम लिग्वा । गम्ते में ही बीमार पर जाने के कारण पापको रगून मे नाग बाब इम ममय तक मो में अधिक पृस्तक म्वदेश लौट पाना पड़ा। फिर अगले ही वर्ष चीन सरलिख चुके हैं, जिनमें चालीम उपन्याम है बाकी मुख्यतया कार के निमन्त्रण पर ग्राप वहा गये और एक महीने कथा संग्रह और नाटक है । मफल उपन्यामकार नथा कहानीकार होने के माथ-माथ आप अच्छे नाटककार भी है। इनके दो नाटको का तो कलकत्ता के रगमच पर। विशिष्ट माहित्यिक उपलब्धियों के कारण आपको बगबर प्रदर्शन होता रहता है। पाकी मुख्य कृतियो मन् १९५६ मे पलकत्ता विश्वविद्यालय की ओर से के नाम है : 'जगत तारिणी' पदक प्राप्त हया । एशियाई लेम्बक मम्मेलन (१९५८) की तैयारी(क) कथा-माहित्य ममिति की बैटा में भाग लेने के लिए पाप माम्को भी १. धात्री देवता, २. कालिनी, ३दावी, ८. गगग गये थे, नथा फिर उमी वर्ष ताशकन्द में हुए अफेशियाई देवना, ५. पचग्राम, ६. हाँमुली बॉकेर उपकथा, ७. गम्मेलन में भारतीय गिष्ट-गण्टल के नता बनाकर नागिनी कन्येर काहिनी, ८. विचारक, ६ आरोग्य भेजे गये। निकेतन, १०. मप्तपदी, ११. पच पाथाली, १० गधा मन १९५१ मे १९६० नक अाप पश्चिम बगान ३३. कन्ना, १४. मंजरी प्रापेग। विधान मभा के मनोनीत मदम्प रहे । फिर १६६० मे (ख) नाटक . १९६६ तक राज्य मभा के मनोनीन मदग्य । १९५८ मे १. द्विपुरुष, २. कालिन्दी। अखिल भाग्नीय लेग्वक मम्मेलन के मद्राम प्रधिवेगन 'हामूली बकर उपकथा' नामक उपन्याम पर नाग का मभापतित्व किया । बाबु को १९४७ मे शरतचन्द्र स्मृति पुरस्कार' मर्वप्रथम रन दिनों आप एक बहद् अन्याम पर काम कर भेट किया गया था। रहे है। जिमको पठभूमि है.---१७६९ मे १९५३ तक १९५५ मे आपके 'प्रागग्य निकेतन' को 'रवीन्द्र बंगाल की जमीदारी प्रथा । माहित्य समीक्षा (१) जैन निबन्ध रत्नावली- लेखक प, मिलाप हुए हैं जो वाजपूर्ण है। बाबू छोटेलाल जी कल कना का चन्द्र जी कटारिया और रतनलाल कटारिया, केकड़ी। विचार मे अनेक खोजपूर्ण माहित्यिक निबन्धी के प्रकाशक, श्री वीर शामन मघ, कलकना। पृष्ट मण्या प्रकाशित करने का था, किन्तु उनकी यह भावना पूर्ण न ४३८, मूल्य ५) रुपये। हो मकी। यह निबन्ध संग्रह गजस्थान के प्रसिद्ध साहित्य प्रस्तुत पुस्तक में विविध विषयो के ५. निबन्ध दिये मेवी, निर्भीक वक्ता, मार्मिक समालोचक और गणी
SR No.538020
Book TitleAnekant 1967 Book 20 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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