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भारत कला-भवन बनारस में संग्रहीत
राजघाट की जैन प्रतिमाएँ
श्री नीरज जैन
राजघाट से प्राप्त जैन पुरातत्त्व की जो सामग्री है, यक्ष के हाथों में पुष्प और कमण्डलु है। काशी के भारत कला भवन में सकलित की गई है उसमें वृक्ष के ऊपर धर्मचक्र सहित सिंहासन है और उस लगभग पन्द्रह शिल्पावशेष उल्लेखनीय हैं। राजघाट में पर कमल की पीठिका पर विराजमान सौम्य मख. सस्मित किसी समय जो विपुल सामग्री रही होगी,माज यद्यपि वदन, २३वें तीर्थंकर भगवान पारसनाथ की पचासन उसका शताश भी उपलब्ध नहीं है तथापि इस सामग्री छवि अंकित है। इस मूर्ति की मुद्रा अपनी मनोहरता में पर से स्थान की प्राचीनता तथा सास्कृतिक समृद्धि का गुप्त कालीन कला का स्मरण दिलाती है। भामण्डल भी भलीभांति अन्दाज लगाया जा सकता है।
वैसा ही सादा और सरल है। छत्र तथा इन्द्र मौर विद्या___इस सचित सामग्री से हमें यह भी ज्ञात होता है कि धरों का प्रकन भी यथाविधि पाया जाता है। जिनेन्द्रमूर्तियों के परिकर में प्रभामण्डल, छत्र, इन्द्र,
यद्यपि इस मूर्ति पर कोई चिह्न नहीं है पर नीचे के विद्याधर, सिंहासन, धर्मचक्र, शासन देवियां, उनके
परिकर और शासन देवता से ज्ञात होता है कि यह विभिन्न मायुध तथा वाहन प्रादिकों का अंकन राजघाट पारसनाथ
पारसनाथ ही हैं। में भी पर्याप्त हुमा है। कल्पवृक्ष के ऊपर विराजमान तीर्थकर तथा उसी वृक्ष के नीचे खड़े हुए शासन देव और
- चतुर्मुख स्तम्भ का अवशेष क० २६४ देवी संभवत. यही की विशेषता है। इसी प्रकार एक इस स्तम्भ के एक प्रोर खड़गासन पारसनाथ की चतुर्मुख स्तम्भ मे एक पोर ऋषभदेव; दूसरी ओर साधारण मूर्ति है । उनका चिह्न फणधर पीठिका से उठ अम्बिका; तीसरी पोर पारसनाथ तथा चौथी पोर इन्द्र- कर उनके पीछे कुण्डली मारता ऊपर की मोर दिखाया सभा का अंकन है जो इस समूचे संग्रह में अलग ही गया है । इस भोर मस्तक का भाग खण्डित है प्रतः फणाअपनी विशेषता उत्पन्न करता है। इन शिल्पावशेषों का वलि भी ट्टी हुई हैं। विवरण इस प्रकार है
दूसरी मोर नेमिनाथ की शासन सेविका देवी पम्बिका कल्पवृक्ष पर कमलासीन तीर्थकर
को सिंह पर ललित प्रासन विराजमान दिखाया गया है।
देवी की गोद में एक बालक है क्रमांक २१२ की यह प्रतिमा अत्यन्त सानुपातिक
और दूसरा बालक
पार्श्व में खड़ा है। ऊपर का भाग यद्यपि खण्डित है परन्तु और मनोहर तो है ही, इसका संयोजन भी तात्कालिक शिल्प में एक नवीनता का समावेष करता है।
प्राम्र वृक्ष का प्रकन एक दम स्पष्ट है। . नीचे पीठिका पर संभवत: प्रतिष्ठापक गृहस्थ युगल
तीसरी ओर मादि तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की को मर्चन्त रत बैठे हुए प्रकित किया गया है। वृक्ष के प्रतिमा भी जो लगभग पूरी तरह नष्ट हो गई है। तने से लगे हुए शासन देवताओं के सेवक खड़े हैं, तथा स्तम्भ की चौथी पोर इन्द्र सभा का दृश्य अंकित वृक्ष के नीचे गौरवपूर्ण त्रिभग मुद्रा में यक्ष धरणेन्द्र और है। इन्द्र और इन्द्राणी को सुन्दर वेषभूषा में खड़े हुए यक्षी पद्मावती को प्रसन्नमुख खड़े हुए दिखाया गया है। अंकित किया गया है। इन्द्र के पादमूल में उसका वाहन देवी के हाथ में कमल पुष्प है और प्रक में एक बालक ऐरावत अंकित है। भासपास और भी अनेक देव, किन्नर,