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________________ ३८४ विषय-सूची सुवर्ण जयन्ती उत्सव-इन्दौर क्रमांक विषय पृष्ठ जंबरीवाग के एक विशाल पाडाल में इस स्वर्णजयन्ती १. सरस्वती-स्तदनम् --मुनि पद्मनन्दी ३३९ | समारोह का आयोजन किया गया था। लगभग २००० २. पतियान दाई (एक गुप्तकालीन जैन मन्दिर व्यक्ति सम्मलित हुए। अनेक सन्देश प्राप्त हुवे, अनेक गोपीलाल 'प्रमर' ३४० गणमान्य जैन जेनेतर सज्जन पधारे थे, सर सेठ भागचन्द्र ३ हिन्दी जैन कवि और काव्य जी सोनी भी थे। ठीक १०-१५ पर समारोह के अध्यक्ष - [डा. प्रेमसागर जैन ३४७ माननीय श्री के. सी रेड्डी महोदय, राज्यपाल मध्य प्रदेश ४. समय का मूल्य -[मुनि श्री विद्यानन्द ३५६ पधारे । उनकी पत्नी भी सम्मिलित हुई। ५. जैन चम्पू काव्यों का अध्ययन दानशीला कचनवाई श्राविकाश्रम की छात्राओं द्वारा [मगरचन्द नाहटा ३६७ ६. पार्वाभ्युदय काव्यम : एक विश्लेषण | मंगलगान के पश्चात ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा स्वागताध्यक्ष श्री ग.व. सेठ राजकुमार सिंह जी ने स्वागत भाषण [प्रो० पुण्कर शर्मा एम. ए. ३७२ ७. आनन्द श्रमणोपासक-[बालचन्द सिद्धान्त शा. ३७६ पढ़ा । पश्चात् मंत्री जी ने संस्थानों का संक्षित ८. साहित्य-समीक्षा-[डा० प्रेममागर विवरण सुनाया। श्री भैयालाल जी बडी, पं. करमलकर ३८३ ६. अनेकान्त के १९वे वर्ष की विषय-सूचा जी शास्त्री, एवं पन्नालाल जी ने इन सस्थानो की बहुमुखी सेवायो की सगहना की। पश्चात् श्री पारस रानी जैन ने जैनमहिला समाज, इन्दौर की भोर से श्रीमती सम्पादक-मण्डल कचन बाई साहिबा को अर्पित मानपत्र सुनाया, मानपत्र डा० प्रा० ने० उपाध्ये एक चांदी के कस्केट में रखकर श्रीमती रेड्डी द्वारा श्री डा०प्रेमसागर जैन सेठानी साहिबा को भेट किया गया। श्री यशपाल जैन ___ स्थानीय व बाहर की लगभग २० सस्थानों द्वारा सेठानी जी को पुष्पहार समर्पित किये गये। श्री सेठानी साहिबा ने इस सम्मान के प्रति आभार प्रदर्शित किया। भाव विभोर वाणी में उन्होने कहा कि वह सम्मान वास्तव मे अनेकान्त को सहायता स्व० सर सेठ सा० का ही है जिन्होंने समाज के सामने ११) लाला सुदर्शनलाल जी जैन जसवन्तनगर एक पादर्श जीवन उपस्थित किया है। उन्होने यह पाशा (इटावा) । चि. शशिभूपण के विवाहोपलक्ष मे निकाले भी व्यक्त की कि उनके पुत्र, पौत्र, वधुएं ग्रादि स्व० सेठ हुए दान में से अनेकान्त के लिए ग्यारह रुपया सधन्यवाद | साहिब क | साहिब के जीवन को सामने रखकर उनके पादर्श व प्राप्त हुए। उनकी कीति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए प्रादर्श व्यवस्थापक 'अनेकान्त' जीवन यापन करेंगे। वीग्सेवा मन्दिर, २१ दरियागज दिल्ली | फिर बिजली का बटन दबाकर माननीय राज्यपाल महोदन ने स्व० सर सेठ हुकमचन्द जी एवं दानशीला सेठानी कंचनबाई की जंबरीवाग उद्यान में स्थापित प्रस्तर अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया प्रतिमाओं का अनावरण किया। तथा माननीय राज्यपाल एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ पै० ने जबरीवाग मे स्थित स्व. सर सेठ साहिब की ममाधि अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पावक पर पुष्पहार चढ़ाया । उनका अध्यक्षीय भाषण अंग्रेजी में महल उत्तरदायी नहीं हैं। हुपा, जिसका अनुवाद श्रीमती अग्रवाल ने किया। व्यवस्थापक अनेकान्त [शेष टा. के तीसरे पेज पर]
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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