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________________ जन. कथा साहित्य की विशेषताएं जैन कथा साहित्य का महत्व . (ब) सांस्कृतिक महत्व दार्शनिक और तात्त्विक सिद्धान्तो की विवेचना के इतिहास मे भी अधिक महत्व है संस्कृति के व्यापक लिए म्फुटगीतो और मुक्तक छदो की अपेक्षा कथानों का परिवेश को जानने के स्रोत के रूप में इन कथामों का। प्राधार अधिक मनोवैज्ञानिक है। उसमें चितक-काव्य पारिभाषिक शब्दों मे जिसे 'विकथा' कहा गया है, मेरी नियमो की नियत्रणा से मुक्त रहता है अतः अपनी विचार- दृष्टि से उन दग्टि में उनमें तत्कालीन मास्कृतिक जीवन का जो चित्र धारा को अधिक स्वतत्रता पूर्वक महज रूप में कह सकता मिलना है वह अन्यनम है। मिलना है वह अन्यनम है। उम ममय के राज-वर्ग का, है। यह कथा पद्य और गद्य दोनो रूपो मे मिलती है। वणिक वर्ग का व मामान्य स्तर बणिक वर्ग का व मामान्य स्तर की जनता का सर्वांगीण पद्य रूप में कथा-काव्यो और चरित-काव्यो का विपुल चित्रझाकता मा दिखाई देता है इन कथानों की पृष्ठभूमि परिमाण में निर्माण हुप्रा है। इन कथानो का प्राधार में इन कयामों की घटनावलियो मे, इन कथानों की पात्रऐतिहानिक. पौराणिक एवं काल्पनिक रहा है । सस्पात, धारणा में । मुनि जिनविजपजी ने ठीक ही लिखा है कि प्राकृत, अपभ्रग में यह माहित्य यथेष्ट मात्रा म निम्बा भारतवर्ष के पिछले ढाई हजार वर्ष के सांस्कृतिक इतिहास गया है। गद्य के रूप में यह कथा माहित्य प्राकृत के प्रागम का मुरेख चित्रपट अकित करने में जिननी विश्वस्त और ग्रन्थो की टीका, नियुक्ति भाग्य, चणि, अवणि, बालाव. विस्तृत उपादान मामग्री इन कथानों में मिल भकनी है बोध प्रादि विविक्त म्पो में प्राप्त होता है। गजम्यानी उतनी अन्य किसी प्रकार के माहित्य में नहीं मिल सकती। उन कथामो म भाग्न के भिन्न-भिन्न धर्म, मप्रदाय, गण्ट्र, गद्य माहित्य को ममद्ध बनाने में उन कथानी ने बड़ा योग दिया है। समाज वर्ग आदि के विविध कोटि के मनुष्यों के नाना प्रकार के प्राचार-व्यवहार, मिद्धान्त, प्रादर्श शिक्षण, (अ) ऐतिहासिक महत्व मम्कार, गनि-नीति. जीवन-पद्धति, राजतत्र, वाणिज्य, निहामिक दृष्टि गे स कथा माहित्य का वदा ध्यवगाय, प्रयोपार्जन, ममाज-मगठन, धर्मानुष्ठान एवं महत्व है। भारतीय प्राचीन इतिहाग को अमूल्य मपनि प्रा.म-माधन प्रादि के निर्देशक बहुविध वणन निवद्ध किये इन कथायी में सुरक्षित है। तीयकगे, नकवनियों, हा है, जिनके प्राधार में हम प्राचीन भारत के मास्कृतिक मम्राटो और नरेगो को लेकर जो विविध पुराण लिखे उनिहाम का मर्दागो और गर्वनामग्यो मानचित्र तयार कर गये है उसमे उन समय की ऐतिहामिकना पर पर्याप्त मकने है।" प्रकाश पडना है। महाभारत के ममान विश गण' (स) लोक तात्विक महत्व: और 'पाण्डव पुराण' तथा रामायण के नानक के ममान यो नो टन कथायों की मुल चेतना धार्मिक रहा है। 'पद्मपुराण' जैसे विशाल अन्य भारतीय इतिहाम-पुगण पर दर्शन और नीति की शुष्कता को मग्न और गेचक माहिन्य को जैनधर्म की विशिष्ट देन हैं। अन्य जनतर भाव-भूमि पर ला उतारना भी कम गौरव की बात नहीं पुगण गाहित्य की अपेक्षा इन पुराणो ऐतिहामिक तथ्यों है। धार्मिक दष्टि की प्रधानना होते हुए भी इन कथानों में का समावेश कही अधिक है। यहाँ जो पात्र है व मया नाणता नही पा पाई है। जिस जन-जीवन के व्यापक अमानवीय और पौरागिक न होकर मानवीय और निहा- धगतल पर ये टिकी हुई है वह मप्रदाय विशेष के व्यामोह मिक है । इसी कारण वे हमारे अधिक निकट है। उनके गे ग्रस्त न होकर मावंभोम लोक-जीवन का आधार है। क्रिया-कलाप हमारे अपने जान पड़ते है। विशष्टिगलाका यही कारण है कि ढाई हजार वर्ष पूर्व निमित ये कहापुरुषों के जीवन वृत्त हमारे मामने जो मामग्री प्रस्तुन निया आज भी लोक-कथानो के रूप में विविध प्रदेशो में करते है उममे अनेक ऐतिहामिक भ्रानियों का समाहार प्रनलिन है । जैन आगमी म राजा श्रेणिक के पुत्र और नो होता ही है, इतिहास के कई नये पाठ भी बलन मे मत्री अभयकुमार के बुद्धिचातुर्य की जो कथा है वह प्रतीत होते हैं। अपन उसीहर में हरियाणा के लोक-माहित्य में प्रहाई
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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