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________________ खानजमा मगर नाम का गांव है वहाँ से पाये थे)। यहाँ हि० गजेटियर में लिखा है को-उस समय उत्तर हिन्दुदोनों का प्राशय एक है कि राजा ईल ये एलिचपुर के स्तान मे वाकेड नाम का राजा राज्य करता था. जिसने खास खानदानी राजा नहीं थे। बाहर से ही वहाँ माये ईल राजा से युद्ध किया था. वह खुशी से अब्दुल रहमान पौर पाये जब न ही थे। उसमें भी विशेष यह है को मिल गया। (The Muhamadam legend says की, एलिचपुर से श्रीपुर जिस दिशा में है उसी दिशा मे that the northern India was tnen ruled by a यहबानजमा नगर है, इसका पोर एलीचपुर का फैसला raja named Vaked, who had quarrelled with सिर्फ ३-४ मील का ही है। II, gladly assisted the invadar--Abdur ____ इससे यह सिद्ध होता है कि श्रीपुर से निकलने के Rahaman.) इससे यह भी स्पष्ट होता है की ईल राजा बाद गोपाल यहाँ ठहरे थे और उन्हें यहां पता चला था के जीवन के अन्त मे जो अन्दुल रहमान से लडाई हुई, कि, वहाँ के हरिवर्ष राजा की मृत्यु हुई है, और नये उसके पहले इस वाकेड राजा का मामना उसे एकदफे राजा की शोध मे एक मतवाला हाथी छोडा है। करना ही पडा था, जिसमे ईल राजा की ही विजय हो सकता है की, खानजमा नगर में ही उन्होने हाथी हुइ था। को वश किया हो और वहा से ही वे समारोह के माथ इम मब पुरे विवेचन से यह मिद्ध होता है की ऊपर एलिचपुर पधारे हो । इसीलिए खानजमा नगर से वे प्राय दी हई भक्तामर की कथा ऐतिहासिक पौर सत्य ही है । ऐसा कहा जाता है। राज्यारोहण समय उन्होंने अपना गजेटियर लिखने वालो को इस बाबत जो ज्ञान कगया नाम श्रीपुर की याद मे 'श्रीपाल' रख लिया होगा। इसी- गया, उस मामग्री पर अगर प्रकाश पड़े तो एलिचपुर के लिए इनको 'श्रीपाल ईल' या एल या एलगराय है ऐमा श्रीपाल ईल गजा के जीवन के बारे में और भी लिखा कहते है। जा मकता है। अतः इस बाबत अधिक परिश्रम पूर्वक (४) यह बात तो स्वाभाविक है कि एक साधारण । ग्योज की आवश्यकता है। हग्विषं राजा के बारे में पादमी एकाएक राज्य करने लग जाय और पहले राजानो कोई पता नहीं चल सकता। बहुत कुछ संभव है कि, पर प्रभुत्व बताये तो पहले अन्य गजा लोग इसको महन यह इन्द्रगज (म्ब०) का कोई नियुक्त पुरुष या प्राप्त हो नहीं करेंगे । अन अन्य राजानो ने या किन्ही एक दोने हो। क्योकि गटकट घराने में वर्षान्त नाम वाले राजे बड पुकाग होगा यह बात मभवनीय हो है। अमगवती हा हा है।* सुभाषित गुणेहि साहू अगुहिऽसाहू, गिल्हाहि साहू गुण मुंच माहू । वियाणिया अप्पग अप्पएण, जो राग दोसे हि समो स पुज्जो ॥ प्रति-मनुष्य गुणो ने माधु (ग्रात्म-गाधना करने वाला) होता है, और दोषो मे प्रमाधु। अतएव सदगुणो को ग्रहण करा, और दुगुणो को छोडी । जो अपनी ही पान्मा के द्वारा अपनी आत्मा को जानता है, राग और उप मे जिसकी ममता है- उपेक्षा भाव है, वही पूज्य है।
SR No.538019
Book TitleAnekant 1966 Book 19 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1966
Total Pages426
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size23 MB
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