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________________ ३५ अनेकान्त ३-संस्मरण: ३. प्राकृत के प्रमुख महाकाव्य । ४-शुभकामनाएं: ४. जैनेतर विद्वानों द्वारा प्राकृत भाषा की सेवा । ५. आ० कुन्दकुन्द एवं उनकी प्राकृत रचनायें। १. जनसमाज : एक परिचय । ६. प्राचार्य नेमिचन्द्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व । २. भारतीय समाज और जैनसमाज । ७. प्राकृत का धर्मकालीन साहित्य । ३. भारतीय समाज गत ५० वर्षों में । २-संस्कृत साहित्य : ४. जैन समाज का स्वातन्त्र्य संग्राम में योगदान । १. संस्कृत भाषा के जैन महाकाव्य । ५. उत्तरी भारत की प्रमुख जैन शिक्षण संस्थाएँ । २. संस्कृत भाषा के जैन पुराण साहित्य । ६. जनी के विविध सामाजिक आन्दोलन । ३. संस्कृत भाषा के जैन काव्य साहित्य । ७. बंगाल में जैन धर्म एवं उसका विकास । ४. संस्कृत भाषा के जैन अमर कवि । ८. कलकत्ता जैनसमाज । ५. जैन स्तोत्र साहित्य । ६. कलकत्ता नगर की जैन संस्थायें । ६ प्राचार्य सोमदेव का व्यक्तित्व एवं कृतित्व । १०. कलकत्ते का कार्तिक महोत्सव एक सास्कृतिक ७. संस्कृत माहित्य के विकास में जैनों का योगदान । पर्व। ११. नगर के दर्शनीय मन्दिर । ३-अपभ्रंश साहित्य : १२. राजस्थान प्रवासियों का बंगाल प्रदेश के विकास १. अपभ्रंश के प्रमुग्व प्रवक्ता । में योगदान । २. हिन्दी के विकास में अपभ्रश का योगदान । १३. महात्मा गांधी और जैन-धर्म। ३. राजस्थान में अपभ्रश ग्रन्थों की खोज । १४. अग्रवाल जैनों द्वारा साहित्य सेवा में योग । ४. अपभ्र श के सूर्य और चन्द्रमा स्वयभू और १५. २०वीं शताब्दी के कुछ प्रमुख जैन सन्त, प्राचार्य पुष्पदन्त । सूर्यसागर जी, वर्णी जी, ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद आदि। ५. अपभ्रंश साहित्य में खोज की आवश्यकता । १६. वर्तमान के प्रतिनिधि जैन विद्वान प्रमी जी, ६. अपभ्रंश का प्रकाशित साहित्य । उपाध्याय जी, सी० आर० जैन, हीरालालजी, जिनविजय ७. अपभ्रंश के प्रमुख महाकाव्य । जी, सुखलालजी, कैलाशचन्दजी आदि । ४-हिन्दी साहित्य : १७. देश के प्रौद्योगीकरण में जैन उद्योगपतियों का १. हिन्दी के प्रादिकाल के जैन प्रबन्ध काव्य । स्थान । १५. भारत के प्रमुख जैन उद्योग पति । २. हिन्दी जैन साहित्य के प्रमुख कवि । ३. हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में जैन विद्वानों का १६. भारत की प्रमुख जैन बस्तियां । योगदान । २०. भारत के प्रमुख जैन तीर्थ एवं उनका परिचय। २१. शिल्प एवं वस्तुकला मे जैनों का योगदान। ४. गजस्थान के जैन ग्रन्थ संग्रहालयो में उपलब्ध हिन्दी साहित्य । खण्डग ५. हिन्दी की अज्ञात जैन रचनाएँ। 'साहित्य और दर्शन'-साहित्य ६. हिन्दी साहित्य की सुरक्षा मे जैनों का योगदान । १-प्राकृत साहित्य : ७. हिन्दी के वर्तमान जैन लेखक । १. प्राकृत साहित्य के विकास में जैन आचार्यों का ८. जैनों का हिन्दी गद्य साहित्य । योगदान। ५-अन्य साहित्य : २. प्राकृत भाषा में विविध जैनागम । १. जैन गुजराती साहित्य :
SR No.538018
Book TitleAnekant 1965 Book 18 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1965
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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