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जैन समाज पर अनभ्र वज्रपात
जनधर्म और जन संस्कृति के अनन्य प्रेमी और बीर-सेवामन्दिर दिल्ली के प्राण बाबुछोटेलालजी जैन कलकत्ता का लम्बी बीमारी के बाद २६ जनवरी के प्रातःकाल सत्तर वर्ष की अवस्था में देहावसान हो गया। पाप उच्चकोटि के साहित्यिक और इतिहास तथा पुरातत्व के विद्वानपापने अनेक स्थानों का भ्रमण करके वहाँ के बहुमूल्य पुरातत्व के चित्रादि लिये और उनके सम्बन्ध में एक खोजपूर्ण पुस्तक लिखी थी, जो प्रकाशित होने को बाट जोह रही थी। उन्होंने वीर-शासन-संघ से अनेक ग्रंथों का प्रकाशन किया था। वार-सेवा-मन्दिर ने तो उनके मायिक सहयोग से हो इतनी प्रगति की थी, उन्होंने अपनी बीमारीको अवस्था में भी तन-मन-धन से वोर-सेवा-मन्दिर की सेवा की, जो चिर स्मरणीय रहेगी। वरिपागंज दिल्ली में बारसेवा-मन्दिर का विशाल भवन उनको सेवानों का सजीव स्मारक है।
मुख्तार षी जुगलकिशोरजीको मागे बढ़ाने में उन्हीं का हाथ था। ऐसे सच्चे सेवक के समय में उठाने से समाज की जो महान क्षति हुई है, उसको पूर्ति होना असंभव है। बोर-सेवामन्दिर तो उनका चिर ऋणी ऐगा ही।
भगवान से प्रार्थना है कि दिवंगत पात्मा परलोक में सुखशान्ति प्राप्त हो और उनके कुटुम्बी जन इस वियोग-जन्याख के सहने में सक्षम हो।
बोकाकुल:
प्रेमचन्द्र जैन मंत्री, वीर-सेवा-मंदिर