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________________ विषय-यूची दुःखद वियोग विषय १ श्रीमान बाबू लक्ष्मीचन्द मुमति प्रसाद जी शहादरा पृष्ठ | की धर्मनिष्ठा पूज्यनीया माता श्रीमती सुनहरी देवी १. प्राचार्य परमेष्ठी (धवला टीका से) १६३ ] का ५० वर्ष की अवस्था मे, स्वर्गवास हो गया। प्राप के इम कौटुम्बिक वियोग में अनेकान्त परिवार अपनी मध्यकालीन जैन हिन्दी काव्य में शान्ताभक्ति हार्दिक सवेदना प्रगट करता है । और दिवंगत आत्मा की -डा. प्रेमसागर जैन एम. ए., पी-एच.डी. १९४ | परलोक में सुखी होने की कामना करता है। ३. यशस्तिलक में वर्णित वर्णव्यवस्थापौरममाजगठन अनेकान्त को सहायता ---डा० गोकुलचन्द जैन प्राचार्य एम. ए. २१३ | श्री लाला चेतनलाल जी सर्राफ बड़ौत के सुपुत्र ४. प्रहार का शान्तिनाथ संग्रहालय चि० गजेन्द्रकुमार एवं आयुष्यमती शगिरानी सुपुत्री श्री -श्री नीरज जैन २२१ लाला प्रकाशचन्द जी शीलचन्द्र जी जौहरी दिल्ली के पाणि ५. कारंजा के भट्टारक लक्ष्मीसेन ग्रहण मस्कार के समय निकाले गए दान में मे ११) रुपया २२३ अनेकान्त को सधन्यवाद प्राप्त हुए। -डा० विद्याधर जोहरापुरकर, मंडला ५) श्री सेठ गभीरमल गुलाबचन्द जी टोंग्या ८ ६. माहित्य में अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ श्रीपुर २२४ हुकमचन्द मार्ग इन्दौर द्वारा चि० सुरेशचन्द टोग्या के -श्री प. नेमचन्द धन्नसा जैन न्यायतीर्थ | विवाहोपलक्ष मे निकाले हुए दान में से पाच रुपया ७. बृपभदेव तथा शिव सम्बन्धी प्राच्य मान्यताएँ । सधन्यवाद प्राप्त हुए। १८) श्री बाबू लक्ष्मीचन्द जी आनरेरी मजिस्ट्रेट -डा. गजकुमार जैन एम.ए. पी-एच डी. २३० । और बा० सुमतिप्रसादजी ने अपनी पूज्या माता श्रीमती ८. श्री लालबहादुर शास्त्री-यगपाल जैन २३७ सुनहरीदेवी के स्वर्गवास के समय निकाले हुए २२००) के दान में से वीरसेवा मन्दिर को ११) रुपया और अने६. जौनपुर में लिखित भगवती सूत्र | कान्त को ७ रुपया, कुल १८) रुपया सधन्यवाद प्राप्त हुए। -प्रगरचन्द भंवरलाल नाहटा, कलकत्ता २३ । ४ श्री मरेशचन्द जी जैन पानीपत ने अपने पूज्य १०. साहित्य-ममीक्षा-डा. प्रेममागर, पिता पण्डित रूपचन्द जी गार्गीय के स्वर्गारोहण के समय परमानन्द शास्त्री निकाले हए दान में से चार रुपया मधन्यवाद प्राप्त हुए। -व्यवस्थापक अनेकान्त वीर सेवा मन्दिर २१ दरियागंज, दिल्ली। सम्पादक-मण्डल डा० प्रा० ने० उपाध्ये अनेकान्त का वार्षिक मूल्य ६) रुपया डा. प्रेमसागर जैन एक किरण का मूल्य १ रुपया २५ १० श्री यशपाल जैन अनेकान्त में प्रकाशित विचारों के लिए सम्पातक मण्डल उत्तरदायी नहीं हैं।
SR No.538018
Book TitleAnekant 1965 Book 18 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1965
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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