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________________ समाधितन्त्र और इष्टोपदेश का तृतीय संस्करण स्वाध्याय प्रेमियों के द्वारा पिछले वर्ष इस ग्रन्थ की बहुत मांग की थी। और उन्ही के अनुरोध से यह संस्करण प्रकाशित हुआ है । प्रस्तुत ग्रन्थ प्राचार्य देवनदिन पूज्यपाद, की एक सुन्दर कृति है। इस अध्यात्म प्रधान रचना में प्राचार्य ने पात्म स्वरूप का सुन्दर विवेचन किया है। पिछले दो सस्करणों से यह मस्करण शुद्ध निकला है। दोनों की संस्कृत टीकाएं और परमानन्द शास्त्री की हिन्दी टीका साथ मे दो गई है मुमुक्षु स्वाध्यागी सज्जनों के लिए यह सस्करण अन्यन्त मूल्यवान है मुमुक्षु सज्जनों को चाहिए कि वे पूज्यपाद की अनुभवपूर्ण कथनी को हृदयंगत कर, तथा इष्ट उपदेश का स्मरण कर समाधि का उपाय प्राप्त कर सकेगे । सजिल्द प्रति का मूल्य ४) रुपया है। वह मंस्था के नियमानुमार पौने मूल्य में प्राप्त कर सकेंगे। व्यवस्थापकवीर सेवामन्दिर २१, दरियागंज, बिल्ली। वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता । १५०) श्री जगमोहन जो सरावगी, कलकत्ता १०००) श्री देवेन्द्रकुमार जैन, ट्रस्ट, १५०) , कस्तूरचन्द जी प्रानन्दीलाल कलकत्ता श्री साहु शीतलप्रसाद जी, कलकत्ता १५०) , कन्हैयालाल जी सीताराम, कलकत्ता ५००) श्री रानजीवन सरावगी एण्ड संस, कलकत्ता' १५०) , पं० बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता ५० ) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता १५०) , मालीराम जी सरावगी, कलकत्ता ५००) श्री नयनल जी सेठी, कलकत्ता १५०) , प्रतापमल जी मदनलाल पांड्या, कलकता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मच जी, कलकत्ता १५०) , भागचन्द जो पाटनी, कलकत्ता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कलकत्ता १५०) , शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता २५१) श्रारा० बा० हरखचन्द जी जैन, रांची १५०) , सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ जो कलकत्ता २५१) श्री अमरचन्द जी जंन (पहाडचा), कलकत्ता । १० ) , मारवाड़ी वि० जैन समाज, व्यावर २५१) श्री स० सि० धन्यकुमार जी जैन, कटनी १०१) , दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी २५१) श्री सेठ सोहनलाल जी जैन, । १०१) . सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं. २ मैसर्स मुन्नालाल द्वारकादास, कलकत्ता १०१) .. लाला शान्तिलाल कागजी, दरियागंज दिल्ली २५१) श्री लाला जयप्रकाश जी जैन १०१) , सेठ भंवरीलाल जी बाकलीवाल, इम्फाल स्वस्तिक मेटल बस, जगाधरी १०१) , शान्ति प्रसाद जी जैन २५०) श्री मोतीलाल होराचन्द गांधी, उस्मानाबाद जैन बुक एजेन्सी, नई दिल्ली २५०) श्री बन्शीयर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता १०१) , सेठ जगन्नाथजी पाण्ड्या झूमरीतलया २५०) श्री जुगमन्दरदास जी जैन, कलकत्ता १०१) , सेठ भगवानदास शोभाराम जी सागर २५०) श्री सिंघई कुन्दनलाल जी, कटनी (म०प्र०) २५०) श्री महावीरप्रसाद जी अग्रवाल, कलकत्ता १०१) , बाबू नृपेन्द्रकुमार जी जैन, कलकत्ता २५०) श्री बी. पार० सी० जैन, कलकत्ता १००), बद्रीप्रसाय जी प्रात्माराम जी, पटना २५०) श्री रामस्वरूप जी नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता १००) , रूपचन्दजी जैन, कलकत्ता १५.) श्री बजरंगलाल जी चन्द्रकुमार जी, कलकत्ता । १०... जैन रत्न सेठ गुलाबचन्द जी टोंग्या १५०) श्री चम्पालाल जो सरावगी, कलकत्ता इन्दौर
SR No.538018
Book TitleAnekant 1965 Book 18 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1965
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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