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________________ ६२ अबसे १५-२० वर्ष पहले जैन सत्यप्रकाश में फागु विवाहला, निलोका, संवाद, यादि कई प्रकार रचनाथों संबंध लेख प्रो० हीरालाल कापडिया आदि के प्रकाशित होने लगे तो मैंने भी उनकी पूरी जानकारी की कुछ अंश में पूरी करने का यत्न किया और एक-एक रचना प्रकार सम्बन्धी जितनी भी जैन, राजन द रचनाओं की जानकारी मुझे प्राप्त हो सकी उनकी सूच को अपने लेखों में देता रहा। वेलि मंझक ज्ञात रचनाओं का मतिप्त परिचय प्रो० हीरालाल कापडिया ने यथा स्मरण “जैन धर्म प्रकाश नामक पत्रिका में प्रकाशित किया तो मैने कल्पना में बहुत श्री नवीन जानकारी के साथ देखि संशक रचनाओं की विस्तृत सूची प्रकाशित की। राजस्थानी साहित्य में राठी पृथ्वीराज रचित कृष्ण की है और चारण कवियों की अन्य भी कई बेलियो नृपसंकृत लायब्रेरी आदि में प्राप्त श्री । अतः मेरा लेख प्रकाशित होने पर राजस्थानी साहित्य के महान विद्वान श्री नम दासजी स्वामी ने श्री नरेन्द्र भनावत को बलियो सबंधी शोध-यन्त्र लिखने की प्रेरणा दी तब तक दिग० कवियों की बेलि संज्ञक रचनाओं की जानकारी बहुत कम प्रकाश में या पाई थी पर उसके बाद जयपुर के शास्त्र भण्डारों की सूनियां यज्योंपी गई नई नई होती रही. फलतः अब तक करीब २० दिग० कवियों के रचित थेलियों का पता लग चुका है। प्रो० नरेन्द्र भनावत को राजस्थानी बेलि साहित्य नामक अपने शोध प्रबन्ध पर डाक्टरेट मिल चुकी हैं। उनके इस शोध प्रबन्ध में करीब बेलियों की रचना की गई है जिसमें दकयों की जियों का उप लब्ध होना अवश्य ही उल्लेखनीय है । मैंने उनसे दिग० पेलियों की सूत्री मांगी थी दिनांक २-०२-६३ के पत्र में निम्मो १५ वेलियों की सूची लिख भेजी है कर्त्ता १) कर्मचूर प्रत कथा बेलि, सकलकीर्ति, १६ वीं शताब्दी २) पंचेन्द्रिय बेलि ठकुरसी सर्वत् १५५० ३) नेमिश्वर " 1 नाम समय ५) पेनि २) क्रोध बेलि , ठकुरी संवत् १५५० छीहन संवत् १५७५-८४ मतदाम संवत ༣+ན” , • अनेकान्त , ' ६) सुदर्शन बेलि वीरचन् १६वीं शताब्दी , ७) जम्बू स्वामीनी बेलि बाहुलीदेि ६) भरत वेल्लि १० ) गुण्टा बेलि जीवंधर १६ ) लघु बाहुबलि वेति शांतिदास १२) गुरु वेलि ३) 33 15) : ५ ) श्रादिनाथ नि, १८) देगा है धर्मदाय हर्षकानि दिवालिया ४) मल्लिदास नीलिमा जयसागर १५) पडलेस्था लि साहलोट १ वीं शताब्दी १७३० श्री भवन ने इससे पहले जो उन्हें ८० ला की पूरी सूची नामनि फ्रि और पतियों के नाम है। , मं० १६१६ मं० १६२५ " मं० भट्टारक धर्मचर ददाय 53 पूर्व T जयपुर के दिगम्बर शास्त्र भण्डारों का सूचियों में कुछ ऐसी वेलियों के नाम है जो कि नामों में ही नहीं है । कुछ नाम उपरोक्त नामावली में होने पर भी उन रचियता के नाम सूचियों में नहीं होने से वे वेलियों ने ही है या भिन्न हैं नहीं कहा जा सकता । १ आमेर शाल भगदार सूची में गुटक नं० १५ मं कलि कुण्ड पार्श्वनाथ बेल का नाम छा है और गुटका न २४ में बेलि गीत नामक रचना है। इन दोनों के रचियता श्री का नाम सूचि में नहीं दिया गया है। २ ग्रन्थ सूची भाग २ पुष्ट ८ में गुण वेलि, ठकुरसी रचित का नाम है सम्भव है वह पंचेन्द्रि या नेमिश्वर वेलि ही हो पृ० ३६५ में पंचेद्धि वेलि, पृष्ट ३६६ नेमनाथ वेलि पृष्ट ३७१ भरत की बेल के रचियताओं के नाम भी नही छपे हैं। ३ ग्रन्थ सूची भाग ३ के पृष्ट १६७ में ऋषभनाथ लि का नाम है वह वादिश्वर वेलि से भिन्न है या अभिन्न निर्णय करना आवश्यक है । ४ ग्रन्थ सूची भाग ४ के पृष्ट ६३८ में पंचेन्द्रिय वेल दील पृष्ठ ६२३ में गुणा वेध ( चन्दनयाजागीत) पृष्ट ६४३ गुण बेलि, पृ० ७७५ में पड लेस्या बेलि डर्पकीर्ति
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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