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________________ एक महत्त्वपूर्ण पत्र वीर सेवामन्दिर दिल्ली से प्रकाशित द्वैमासिक अनेकान्त पत्र का एक अंक मिला । मै उसे प्राद्योपात पढ गया। जैनसमाज का यह ऐतिहासिक पत्र सुन्दर निकल रहा है, इसमें पाठक को पढने और अनुमधान करने के लिए बहुत सामग्रो रहती है । सभी लेख महत्त्वपूर्ण और पठनीय होते है। दुर्भाग्य है कि जैन-समाज ऐसे प्रभाविक और महत्त्वपूर्ण पत्र को अपना सहयोग प्रदान करती मालूम नही होती, अन्यथा यह पत्र 'कल्याण' के समान प्रगति करता। जनसमाज के धनिक वर्ग को चाहिए कि वह आर्थिक सहयोग प्रदान करे, जिससे सचालकगण इसे और भी ऊँचा उठा सकें। मै पत्र की उन्नति का इच्छुक हूँ। सुरेशचन्द सक्सेना एम ए. लुधियाना। वीर-सेवा-मन्दिर और "अनेकान्त" के सहायक १०००) श्री मिश्रीलाल जी धर्मचन्द जी जैन, कलकत्ता | १५०) श्री चम्पालाल जी सरावगी, कलकता १०००) श्री देवेन्द्र कुमार जैन, ट्रस्ट, १५०) , जगमोहन जो सरावगी, कलकत्ता श्री साहु शीतलप्रसाद जी, कलकत्ता १५०) , कस्तूरचन्द जी प्रानन्दीलाल कलकत्ता ५००) श्री रामजीवन सरावगी एण्ड सस, कलकत्ता १५०) , कन्हैयालाल जी सीताराम, कलकत्ता ५००) श्री गजराज जी सरावगी, कलकत्ता १५०) , पं. बाबूलाल जी जैन, कलकत्ता ५००) श्री नथमल जी सेठी, कलकत्ता १५०) , मालीराम जी सरावगी, कलकत्ता ५००) श्री वैजनाथ जी धर्मचन्द जी, कलकत्ता १५०) ,, प्रतापमल जो मदनलाल पांड्या, कलकता ५००) श्री रतनलाल जी झांझरी, कखकत्ता १५०) , भागचन्द जो पाटनी, कलकत्ता २५१) श्री रा० बा० हरखचन्द जी जैन, रांची १५०) , शिखरचन्द जी सरावगी, कलकत्ता २५१) श्री अमरचन्द जी जैन (पहाड्या), कलकत्ता १५०) , सुरेन्द्रनाथ जी नरेन्द्रनाथ जी कलकत्सा २५१) श्री स०सि० धन्यकुमार जी जैन, कटनी १०१) , मारवाड़ी दि. जैन समाज, व्यावर २५१) श्री सेठ सोहनलाल जी जैन, १०१) ,, दिगम्बर जैन समाज, केकड़ी मंसर्स मुन्नालाल द्वारकादास, कलकत्ता १०१) , सेठ चन्दूलाल कस्तूरचन्दजी, बम्बई नं०२ २५१) श्री ल.ला जयप्रकाश जी जैन १०१) , लाला शान्तिलाल कागजी, बरियागंज दिलना स्वस्तिक मेटल वर्स, जगाधरी १०१) , सेठ भंवरीलाल जी बाकलीवाल, इम्फाल २५०) श्री मोतीलाल होराचन्द गांधी, उस्मानाबाद १०१) ,, शान्ति प्रसाद जी जैन २५०) श्री बन्शीवर जी जुगलकिशोर जी, कलकत्ता जैन बुक एजेन्सी, नई दिल्ली २५०) श्री जुगमन्दरदास जी जैन, कलकत्ता १०१) , सेठ जगन्नाथजी पाण्डया झूमरीतलया २५०) श्री सिंघई कुन्दनलाल जी, कटनी १००) , बद्रीप्रसाद जो प्रात्माराम जी, पटना २५०) श्री महावीरप्रसाद जी अग्रवाल, कलकत्ता १००) , रूपचन्दजी जैन, कलकत्ता २५०) श्री बी. प्रार० सी० जन, कलकत्ता १००) , जैन रत्न सेठ गुलाबचन्द जी टोंग्या २५०) श्री रामस्वरूप जी नेमिचन्द्र जी, कलकत्ता इन्दौर १५.) श्री बजरंगलाल जी चन्द्रकुमार जी, कलकत्ता | १००) , बाबू नपेन्द्रकुमार जी जैन, कलकत्ता
SR No.538017
Book TitleAnekant 1964 Book 17 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1964
Total Pages310
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size16 MB
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