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________________ किरण २ हरिभद्र द्वारा उल्लिखित नगर २६. पुन्द्रवर्धन' - इस नगर की स्थिति बंगाल के पानी की अनेक बावड़ियाँ, कुएं, तालाब और नदियां मौजूद मालदा जिले में है । कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी इस नगर थीं। यहां बाणगंगा और गडकी नदी का संगम होता था। का नाम पाया है तथा इसे हरिभद्र ने पुण्ड्र नामक एक रामायण (१।४८) में भी मिथिला का उल्लेख पाता है, जनपद बतलाया है। वर्तमान बोगराजिले का महास्थान यहाँ इसे जनकपुरी भी कहा गया है। भगवान् महावीर ने गढ़ नामक ग्राम पर जनपद में था। कनिंघम ने इस नगर यहाँ अनेक चातुर्मास व्यतीत किये थे। इस नगरी के चार की समता महास्थान गट से की है, यह वर्धन कुटी से दरवाजों पर चार बड़े बाजार थे। १२ मील पश्चिम है। महा भारत (सभापर्व ७८, ६३) में ३३. रत्नपुर-इस नगर की स्थिति कोगल जनपद आया है कि पुण्ड के राजा दुकल आदि लेकर महाराज में थी। विविधतीर्थकल्प में धर्मनाथ की जन्मभूमि रत्नपुर युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ मे उपस्थित हुये थे। कौटिल्य में मानी गई है। यह नगर व्यापार की दृष्टि से बहुत के अर्थशाब (अध्याय ३२) में लिखा है कि पुड़ देश का समृद्धशाली था। वस्त्र श्याम और मणि के समान स्निग्ध वर्ण का होता ३४. रथनूपुर-चक्रवालपुर--हरिभद्र ने अनुसार था। हरिभद्र ने इसे अमरावती के समान बताया है। यह विजयार्द्ध की दक्षिण घेणी का एक नगर है। दक्षिण २७. ब्रह्मपुर-पूर्व दिशा में वर्तमान प्रासाम में थेणी के ५० नगरों में से यह बाईसवां नगर पड़ता है। इस नगर की स्थिति थी। ३५. रथवीपुर"-हरिभद्र के निर्देगानुमार यह भरन२८. भंभानगरहरिभद्र ने विजय के अन्तर्गत इस क्षेत्र का एक नगर है। इसकी स्थिनि मिनीपुरके प्रागे और नगर की स्थिति मानी है। हमारा अनुमान है कि यह इलाहाबाद के पहले होनी चाहिये । नगर प्रामाम में यही अवस्थित था। ३६. राजपुर-विजन में गजपुर का निर्देश हरि२६. मदनपुर-हरिभद्र ने इसकी स्थिति कामरूप भद्र ने किया है, पर यह वर्तमान में सौराष्ट्र मे अवस्थित आसाम गें मानी है। एक नगर है। ३०. महासर - यह वर्तमान में मार नाम का ३७. लक्ष्मीनिलय -ग्रामाम में इम नगर की स्थिति स्थान है जो दयार से ४० मील दक्षिण नर्मदा के तट पर ही अवस्थित है। ३८. वर्धनापुर- -उत्तरापथ गे म नगर का निर्देग ३१. माकन्दी'-- इम नगर की स्थिति हस्तिनापुर के हरिभद्र ने किया है । वर्तमान में यह कन्नीज के प्राग-गाम प्राम-पाम रही होगी। महाभारत (५।७२-७६) में बताया स्थिन कोई नगर है। गया है कि युधिष्टर ने दुर्योधन मे पाच पांच सौ गाव माग ३६. वसन्तपुर'---गजगृह के पाम का एक नगर । थे, उनमें से एक माकन्दी भी था। ३२. मिथिला* ---मिथिला विदह (तिरहत)की प्रधान वमन्तपुर का गस्कृत साहित्य में भी उल्लेख पाया है। नगरी थी। हरिभद्र ने इसकी प्रशसा की है। जैन साहित्य ४०. वाराणसी --- काशी देश की प्रधान नगरी है। में बताया गया है कि यहां बहुत से कदलीवन तथा मीरे वरुणा प्रौर असि नाम की दो नदियों के बीच में प्रवरिया १. वि। ती. क० पृ०६७ ३. वही पृ. १२० २. मम० १०५ ८. वही, पृ० ८५.५. नथा ७३६ ३, वही, पृ०१६ ५. वही, प०१२५. ४. वही, पृ० ८०५ ६. वही, पृ० १०३ ५. वही, प००८ ७. वही,प० १६८ ६. वही पृ० १०८ ८. वही, पृ० ७११ १. समः पृ० ८९३ ६. वही, पृ० ११। २. वही पृ० १८१ १०. वही, पृ० ८४५
SR No.538015
Book TitleAnekant 1962 Book 15 Ank 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1962
Total Pages331
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size18 MB
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