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विषय-सूची
चित्र-परिचय
विषय
अनेकान्त के मुख पृष्ठ पर जो चित्र दिया गया है। चतुर्विंशति तीर्थकर जयमाला-ब्रह्मजीवंधर
उसका संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार है:
'हाथी के एक-एक अंग को स्पर्श करने वाला प्रत्येक सिद्धहेमचन्द्र-शब्दानुशासन- श्री कालिकाप्रसाद शुक्ल,
व्यक्ति अंश रूप से सच्चा है-पर उस एक अंग के वर्णन से ___ एम. ए. व्याकरणाचार्य १४६
पूरे हाथी का रूप ज्ञान नहीं हो सकता है। विभिन्न अंगों समय और हम -श्री जैनेन्द्र
१५५ को स्पर्श करने वाले सभी छहों व्यक्तियों के विचार मिला सप्त क्षेत्र-रास का वर्ण्य-विषय-श्री अगरचन्द नाहटा १६० लेने पर पूर्ण हाथी का रूप स्पष्ट हो जायगा। इस प्रकार कविवर बनारसीदास की सांस्कृतिक देन
पूर्ण सत्य को प्राप्त करने के लिए सभी प्रांशिक सत्यों को
सम्मिलित करना होगा, यही भाव इस चित्र से प्रकट -डा. रवीन्द्रकुमार जैन १६३ कार्तिकेय (कहानी) -श्री सत्याश्रय भारती १६७ भगवान् कश्यप : ऋषभदेव
-श्री वाबू जयभगवान एडवोकेट १७६१ पतियानदाई (एक भूला विसग जैन मन्दिर)
यारोग्य कामना -थी नीरज जैन १७७३ जैन मित्र की भूल
केकड़ी दि. जैन समाज के उत्साही विद्वान् और आदिकालीन चर्चरी रचनाओं की परम्परा का उद्भव
अनेकान्त के सम्पादक क्षयरोग मे प्रपीड़ित है। उनका
इलाज मीरशाली अस्पताल (अजमेर) में सावधानी और विकास -डा. हरीश १८०
से हो रहा है। अब उनका स्वास्थ्य अपेक्षाकृत सुधार राजस्थानी जैन वेलिसाहित्य-प्रो० नरेन्द्र भानावत १८६ पर है। आशा है वे बिल्कुल ठीक हो जायेंगे । अनेसाहित्य समीक्षा-मयण पराजय, भारतीय इतिहास कान्त परिवार उनके स्वास्थ्य की कामना करता है। एक दृष्टि -डा. प्रेमसागर
अनेकान्त परिवार,वीर-मेवा-मन्दिर, दिल्ली प्रमाण-प्रमेय-कलिका-श्री अवधेशकुमार शुक्ल १६३६
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