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________________ a अहम PLEARH - वस्ततत्व-मघातक विश्वतत्त्व-प्रकाशक वाषिक मूल्य ६) एक किरण का मूल्य 1) CE ... DAR 5E SHREPORT नीतिविरोधष्वंसीलोकव्यवहारवर्तकःसम्यक। परमागमस्य बीज भुवनैकगुरुर्जयत्वनेकाना Ema वर्ष १४ । वीरसेवामन्दिर, २१, दरियागंज, देहली किरण, ३-४ । आश्विन कातिक, वीरनिर्वाण-संवत २४, विक्रम संवत् २०१३ । नवम्बर ५६ श्रीशुभचन्द्र-योगि-विरचित जिनपति-स्तवन परपदं सपदैः स्ततपक्षवयं, विशदनाद-सनन्दित-समयम। कुमुददानविधु'धृतिवृद्धये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये ॥१॥ विशद-चिद्धन-सदनकोन्नत भवपयोधिपतज्जनताश्रितम् । मदन-दन्ति हरिं सुसमृद्धये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये ॥२॥ कमल-कोमल-काय-मनोहरं दरद-कर्म-सुशर्मभिदाकरम् । अनघ-घस्मर-योग-विशुद्धये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये ॥३॥ सुरकृतीलमगर्भमहामहं सुरधरात्तसुसेकशुभावहम् । समयसारभराभिसुलब्धये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये।४॥ करटि-घोटक-कोटि-महाश्रियं स्फुरदुपाधि-निराकरण-क्रियम् चरित-चच मिनं निजबोधये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये॥५॥ सकलकेवल लोचन-लोकिनं सुकृत-क्लुप्ति-परार्थ-विवेकिनम् । परम-पौरुष-सिद्ध-समाधये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये ।।६।। अमल-मंगल-सत्पद-साधकं विषय वेदन-रागविबाधकम् । प्रगुण-सद्गुण-धाम-परद्धबे, प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये ॥७॥ अमर-शकर-माधव-मानिनं परम-पूरुष-सत्पदाखिनम् । परकुलं इतकर्म सुनद्धये प्रवियजे जिनपं शिवसिद्धये ॥८॥
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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