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________________ जैनमन्थ-अशस्तिसंग्रह किरण १० ] जिस-यय-निगग्गड वगण-पिंड, तं सह सिद्ध भाइवि प्रखंड | एसिद्ध तिविह पणविवि गिरोह, मिच्छत-माय-विलय सीह वह गयर सामिय सुद गहू गामिय भव-सर सोस-दिवेसर जे सन्त सतसय पयडिय महिदय, तेवयय हियं विहय सर ॥१ तुम भोमि हर पे तं करविज्जु अवसु दुह-खासखु । ज पर रोमि 'जिगिदहु केरउ, चरिउ र बहु सुक्खायेर । अवि पासहु चरिउपपासित खेऊ साहु सिमित सुद्दासिउ । ते पण विधि बहु मचिए गाहर, साहं पट्टि पुछ जे हुब मुखिवर | विजयसेर पमुहाय गुणायर, बलहहहु पुराण पुणु तीयउ, शियम अराएं परं कीयठ । हु सुकोसल चरिउ सुरु, विरयहि भव-सय- दुक्ख-खयंकरु । तं सुणिवि हरसिंघहु णंद, श्रयम-सत्थ-प्रस्थ-रयाायर । तेहि कमि सूरि पहाण, छंद - तक्क वायरण ठाउं । खेमकित्ति यामेया स महि जेय दुम्म लिई सह | तासु पचासथि कलिमल-च शिव चित्त भाविउ स्यात्तउ । पहिलं किमजि-पय-चंद सत्त-प्रत्थ-ही हउ सामिय, किम पंगुल हवंति यह गामिव । A बारह-विह तब भेष सुरु, हेमकत्ति मदिरा दुश्यिहरु । तासु पट्टि तब लच्छिदि मंदिर, श्रह अकंपु य छटु मंदिरु । दुम-इंद्रियबल-दमयावर, किम अंतरं तरह पुणु सावर, किम भिड रणं गणि-कायरु | वोक्कड धूल करिहु किं बोल्लर, किम व धवल हर भरु भिल्लइ । सिकदहि र ज भासत कह विरयमिह तं गेहामि । भग्वह-मण-सय-तम-भायरु | मसिय-विसहर - विप- विणिवारउ, तेरहविध चारित जो धारउ । पिंगल विहन्ति च जायनि किम अप्प कन गुवि माद्यवि । यहं तुम्ह वयद्यहं करम सन्धु सुहस्य पर | पर कार सामिय तव पह गामिय, एकु अत्थ संसब-हर ॥३ श्राम रस रसेगा जो सित्तउ, अणि जें भाविउ रयणसउ । अंतिमभाग जंगा मताही परि मम भणि किंपि इहु गुण पवितु । कुमरसेगु णामें कलि गणहरु, पद्यविधि नियमाण- सुद्धिए भव-दरु। अवर वि जे हिग्गंथ महामुखि, कोडि वि लिहू ऊणिय बहु गुधि । दिदि जियहरिवर र बहु-ह-माय-नचो जिवावर दिड रायण मणिटुड मिरु घर धरियय वाउ को ॥२ तं कोसलमुह णिग्गय सुवाणि, महु खमहु भंडारी अत्थ-वाणि । बुयण मा गिरहहु किंपि दोसु, सोहेज्जहु हु विरोसु । भवि भवि होज्जड मद्द धम्म बुद्धि, तहिं वंदि गच्छ परमेसरु, कुमरसेगु परम जईसरु | श्रीवादिणुतहुराए, संपज्जड तह दंसया - विसुद्धि । भवि भवि दुलभ समाहि बोहि, संपजड मटु भव-तम-विरोधि । येहु समप्पि व अविरत धार पुणु गुरुणा जपि भो पंडिय रशियाहि साल प्रखंडिय । राणंद सुहि वसउ देसु. जिय-सालय यद विगय-लेसु । [ ३१३
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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