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________________ वीर-सेवा-मन्दिरको प्राप्त सहायता साधना और उनके दिव्य सन्देशोंको अपने जीवन में लाने तथा उनका विश्व में प्रचार करने का प्रयत्न करना चाहिये। (गत किरण से आगे जो सहायता मय सदस्य फीस के प्राप्त हुई है, वह निम्न प्रकार है, उसके लिए साथ ही उपयोगी साहित्यका वितरण जन-साधारणमें किया दातार महानुभाव धन्यवादके पात्र हैं। श्राशा है जाय । और भगवान महावीरकी पूजनके साथ उनकी पावन अन्य दानी महानुभाव भी साहित्य और इतिहास वाणीले साक्षात् सम्बन्धित प्राचार्य पुंगव श्रीगुणधर रचित आदिके कार्य में अपना आर्थिक सहयोग प्रदान श्री कसायपाहुडसुत्त' को, जो प्राचार्य यतिवृषभकी चूणि करेंगे। और पं० हीरालालजी सिद्धान्त शास्त्रीके हिन्दी अनुवादके साथ वीरशासन संघ कलकत्ता सेप्रकाशित हुआ है । मंगा. १००) ला. पारसदास जी जैन मालिक-जैन टैक्टर्स एन्ड कर उसकी पूजा करें, और अपने सरस्वती भवनमें विराजभोटो स्वेअर पार्टस, क्वीन्म रोड, दिल्ली मान करें । २०) रुपया भेजने पर बिना किसी पोस्टेजके एक २१) ला. जयचन्द जी जैन, वंसल इलेट्रिक स्टोर, हजार पृष्ठोंसे भी अधिक बहुमूल्य सजिल्द प्रथ आपके दरीबाकलां, दिल्ला तथा ला• नेमीचन्दजी जैन पास भेज दिया जायगा। के, विवाहोपलक्ष में, मिलने का पता:२५) रा० सा. उलफतराय जी जैन सर्राफ, दिल्ली। वीरसेवामन्दिर, २, दरियागंज, दिल्ली। १२) ला. महतावासह जी जैन जौहरी दिल्ली। सूचना ४८८) अनेकान्तको प्राप्त सहायता धर्मानन्द कौशाम्बीकी जिस 'महात्मा बुद्ध' नामको पुस्तकके वें प्रकरणके सम्बन्धमें मांसाहारको लेकर जैव ११) खा. सूरजमल कुन्दनमल जी जैन के सुपुत्र ला. सांवलदास मोरीमल जी की सुपुत्री के समाजमें क्षोभ चल रहा था, उसके सम्बन्धमें अकादमीकी विवाहोपलक्ष में, अनेकान्त की सहायतार्थ । मीटिगमें उसके विषयमें एक नोट लगानेकी योजना स्वीकृत ५) श्री चन्दनारायण जी जैन, गवर्नमेंट कन्ट्रक्टर हो गई है। और अन्य भाषाओं में उसके अनुवाद भी प्रकाने अपनी पुत्री शिरोमणि जैन प्रभाकर के विवाहोप- शित नहीं किये जायेंगे। -- लक्ष में। दुखद वियोग -मंत्री. वीर सेवामन्दिर पाठकों को यह जान कर दुख होगा कि जैन समाज शुभ समाचार के प्रसिद्ध सेठ छदामीलाल जी फिरोजाबाद की धर्मपत्नी सेठानी श्रीमती शरवती देवी का ता. ७ मार्च सन् १९५७ पाठकों यह जान कर हर्ष होगा कि जैन समाज के सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वान श्री जुगलकिशोरजी मुख्तार गुरुवार के दिन सहसा हृदयकी गति रुक जाने से स्वर्गवास की बाई आंख का आपरेशन डा. मोहनलाल जी अली हो गया है। प्राप भी अपने पति के समान ही धार्मिक कार्यों में सहयोग देती थीं। आपके इस वियोगसे सेठ जीगढ़ द्वारा सानन्द सम्पन्न हो गया है। आज कल मुख्तार सा० अपने भतीजे डा. श्री चन्दजी जैन 'संगल' एटा के के जीवनको बड़ा आघात पहुंचा है। काल की कुटिल गति के प्रागे किसी की नहीं चलती है। आपके इस इष्ट वियोग पास ठहरे हैं। डा. साहब उनकी परिचर्या में सानन्द संलग्न हैं। और अप्रेल के प्रारम्भ में मुख्तार साहब की जन्य दुख में वीरसेवामन्दिर परिवार अपनी समवेदना दिल्ली भाने की प्राशा है। व्यक्त करता हुभा श्री जिनेन्द्रदेवसे प्रार्थना करता है कि दिवंगत आत्माको परलोक में सुख-शान्ति की प्राप्ति हो और महावीर जयन्ती सेठ जी तथा बाबू विमलप्रसाद जी और अन्य कुटुम्बी गत वर्षोंकी भांति इस वर्ष महावीर जयन्ती चैत्र जनों को दुःख सहने की क्षमता प्रात हो। शुक्ला त्रयोदशी ता.१२ अप्रैल सन् १९५७ गुरुवारके दिन शोकाकुल-वीरसंवा मन्दिर परिवार अवतरित हुई है। अतः हमें उस दिन भगवान महावीरकी कुल १०४) . . . .. . .. . ... . .
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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