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________________ भनेकात फरवरी १९५७ .. विषय-सूची १. श्री नेमि-जिन-स्तुति-[पं० शालि २. जैन कलाके प्रतीक और प्रतीकवाद-[ एके. भट्टाचार्य, हिष्टी कीपर-राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली, अनुवादक-जयभगवान जैन एडवोकेट १ ३. पूजा, म्तोत्र, जप, ध्यान, और लय-[पं० हीरालाल सिद्धांत शास्त्री ४. जैन परम्पराका आदिकाल-[डा. इन्द्रचन्द्र शास्त्री एम. ए. 10 ५. विश्व-शान्तिके अमोघ उपाय- [श्री अगरबन्द नाहटाए 6. विदर्भमें गुजराती जैन लेग्वक- [प्रो. विद्याधर जोहरा पुरकर २०१ 7. पुराने माहिन्य की खोज- [जुगलकिशोर मुग्तार 'युगीर' २०॥ ८. पीड़िन पशुओं की सभा (कहानी)-[श्रीमती जयवन्नी देवी २०७ १. मंस्कागें का प्रभाव - [पं० हीरालान सिद्धान्त शास्त्री १०. छन्दकोष और शाल-परन्तगोपाय छप चुके-[श्रीअगर चन्दनाहटा .. ५१. साहित्य परिचय और ममालोचन--. [परमानन्द जैन १० १२. जैनग्रन्य प्रशस्ति-संग्रह पीर सेवा मन्दिर,देहली मूल्यः ॥
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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