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________________ धर्मका अपूर्व अवसर न चूकिये अनेकान्तके उपहारमें समयसार टीका श्री अतिशयक्षेत्र मढ़ियाजीमें श्री १०५ पूज्य छुल्लक अनेकान्तके प्रेमी पाठकोंको यह जानकर हष होगा कि सहजानन्द (मनोहरलाल) वर्णीजी महाराज पधारनेसे कि हमें बाबू जिनेन्द्रकुमारजी मंत्री 'निजानन्द प्रन्थ माला धर्मका अपूर्व लाभ होरहा है श्री वणों गुरुकुल एवं ब्रह्म- सहारनपुरकी ओरसे स्वामी कर्मानन्दजी कृत समयसार विद्याश्रम १८.१२.५६ संचालू होगया है । जिसमें प्रतिदिन टीकाको १५० प्रतियों अनेकान्तके उन ग्राहकोंको देनेके त्यागो, ब्रह्मचारी श्रावक-श्राविकाएँ, स्नातक छात्र एवं जबल- लिये प्राप्त हुई हैं जो ग्राहक महानुभाव अपना वार्षिक पुरसे जेनसमाज प्रतिदिन आकर वीजास धर्म-प्रवचन चन्दा ६) रुपया और उपहारी पोप्टेज १) रु० कुल श्रवणकर ज्ञानोन्नतिक साथ श्रात्म-शान्तिका अनुभव करते ७) सवासात रुपया मनीआर्डरसे सबसे पहले भेज देंगे हैं। आपकी भाषण शैला मरम स्पष्ट और हृदयग्राहिणी उन्हें समयसार रीका रजिष्टरीसे भेज दी जावेगी। प्रतियों है । विद्वान्मे लेकर अल्पबुद्धि बालक भी श्रापक सदुपदशको थोड़ी हैं इसलिये ग्राहक महानुभावोंको जल्दी करनी ग्रहण कर लेते हैं। यह मढियाक्षेत्र जबलपुरसे ४ मील चाहिये, अन्यथा बादको पछताना पड़ेगा। नागपुर रोड पर रमणीक पहाड़ीके ऊपर स्थित है। पहाड -मैनेजर 'अनेकान्त' पर दो प्राचीन मंदिर हैं और दो बड़े मंदिर बन रहे हैं। वीर सेवामन्दिर २१ दरियागंज, दिल्ली एक वर्णी गुफा है जिसमें सुकौशल मुनिका उपसर्ग सहित चित्रमूर्ति है जो सफेद मंगमर्मरले बनी है। तथा वर्तमान ___अनेकान्तके ग्राहकोंसे निवेदन चौबीम तीर्थंकरोंकी २४ छतरी सामर्मरको बनना शुरू अनकान्तक ग्राहकोंसे निवेदन है कि जिन ग्राहकोंने हागई है। पहाडकी तलहटी में एक मदिर धर्मशानामें है। अपना वार्षिक चन्दा छह रुपया अभीतक नहीं भेजा है और एक मानस्तम्भ तलहटीक मैदान में बना है। नया पहाडके उनकी सेवामें अनेकान्तकी ५ किरणें भेजी जा चुकी है। परकोटाके बाहर ४ मंदिर और एक गुफा भी बन गई है। और छठवीं किरण भेजी जारही है। अत: इस किरण के अतः यहाँक दर्शन तथा बगीजांक प्रवचनका लाभ होगा। पहुचन पहुंचते ही वे ६) रुपया मनावारस भेज दें। यदि उपहार जो त्यागी, ब्रह्मचारी, ब्रह्माणी, श्रावक और श्राविका ग्रन्यकी आवश्यकता हो, तो पाटंज हित ) २. भेजे। ग्रन्यको आवश्यकता हा, ता पाप इस ब्रह्मविद्याश्रममें रहकर ज्ञान तथा श्राम-नाम करना __ अन्यथा उन्हें अगली किरण वी. पी. से भेजी जावगी जमसे चाहते हों, वह ऐसा अवसर न च । इसमें भोजनकी उन्हें :-) अधिक दकर वी. पी. झुटानी होगी। आशा व्यवस्था है। भोजन फीस माधारण ११) मासिक है। हे मी ग्राहक महानुभाव १५ फर्वरी तक अपना वार्षिक निम्न पतेसे पत्र-व्यवहार करें। मृल्य भेजकर अनुगृहीत करेंगे। -मैनेजर 'अनकान्त' सिंघई कोमलचन्द्र जैन वीर सेवामन्दिर २७ दरियागंज दिल्ली मंत्री-मढियाजी क्षेत्र, पो०-गढा, जबलपुर (म. प्र.) दुःखद वियोग पटनागंजका वार्षिक महोत्सव श्री दि. जैन अतिशयक्षेत्र पटनागंजका वार्षिक मेना हाल के ता०५७ के जैनमित्रसे यह जानकर कि 'जन माघ शुक्ला १३-१४-१५ दिन मंगलवार, बुधवार, संस्कृति संरक्षक सङ्घ' के जन्मदाता एवं माथापक श्री वृहस्पितिवार ता. १२-१३-१४ फरवरीको बड़ी धूमधामके जीवराज दोशीका ता०१५ को समाधिमरण पूर्वक स्वर्गवास साथ सम्पन्न होगा। और उसी समय १२ फीट ऊंची श्री हो गया है। आपने अपनी तीन लाखकी सम्पतिका ट्रस्ट महावीर स्वामीकी विशाल प्रतिमाका महामस्तिकाभिषेक, कर दिया था। आप ब्रह्मचारी तथा अच्छे लेखक भी थे। श्रीगणेशवर्णी गुरुकुलका समारम्भ, विराट कविसम्मेलन अापके वियोगसे जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति होना सम्भव होगा। सर्वसमाजको सादर निमंत्रण है तथा अादर्श विवाह नहीं है। वीरसेवामन्दिर परिवार आपके इस वियोग, भी होंगे । कृपया मेले पर पधारनेकी कृपा करें । जन्य दुःसमें सम्वेदना प्रकट करता हुआ वीर प्रभु से प्रार्थना निवेदकः-मुशी मूलचन्द जैन करता है कि दिवंगत श्रामा परलोकमें सुरू-शान्ति प्राप्त करता है कि दिवंगत आत्मा पर मेलामंत्री-श्री दि. जैन अतिशयक्षेत्र, पटनागंज कर, और कुटुम्बी जनोंको धैर्य प्राप्त हो। पो० रहली (मागर) म. प्र. -वीर सेवामन्दिर परिवार
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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