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[पृष्ठ १४६ का शेष]
हीरालाल जी ने 'अहिसा और अपरिग्रह' पर हुई नाग ने अपनी ओजस्विनी भाषा में बताया कि हमें चर्चा का, श्री सुमेरुचन्द्र जी दिवाकर ने 'अनेकान्त कुछ करना है, तो इस संकुचित दायरे में नहीं, और न्यावाद' पर हुई चर्चा का और डा० अपितु सारे विश्व में महावीर के मिद्धान्तों का हरिमोहन भट्टाचार्य ने 'विश्व शांति के उपाय पर डंका बजा देना है। ये वे ही मिद्धान्त हैं जिनसे हई चर्चा का सार-अश पेश किया । अन्त में शान्ति मिल सकती है। जैन साहित्य शांति रूपी अध्यक्ष पदसे भापण देते हुये साहू शांतिप्रसाद खजाने से लबालब भरा हुआ है, आवश्यकता है जी ने कहा कि दूसरे देशोंके लोगों को जैनधर्मके इसके सदुपयोग की। आपन भाषण के अन्त में सिद्धांतांसे पूर्णतः परिचित करना चाहिए और नालंदा विश्वविद्यालय का जिक्र करते हुए कहा कि इसके लिए यह आवश्यक है कि जैनधर्मक मुरूप उसमें विभिन्न देशों से आये हुए दश हजार उपदेशांको विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित किया जाय । विद्यार्थी विद्याध्ययन करते थे और उन्हें सर्व प्रकार अन्तमें अध्यक्षपदसे एक शोति प्रस्ताव उपकी सुविधायें मुफ्त दी जाती थीं। आज ऐसा ही एक स्थित किया गया, जो सर्वसम्मतिसे पास हुआ। अन्तर्राष्ट्रीय अहिंमा विश्वविद्यालय बनना चाहिए सेमिनार के लिए आये हुए लेखों में से कुछ जिमसे कि संसारको शांतिका मार्ग प्राप्त हा सके। लेख इसी किरण में प्रकाशित हैं। शेष लेख यथा
आज के ही अपराह्न में ३।। बजे से सा हाउस सम्भव आगेकी किरणोंमें दिये जावेगे। के प्राङ्गण में खुला अधिवेशन हुआ। जिसमें डा०
-हीरालाल सिद्धान्तशास्त्री
शोक प्रस्ताव
शोक समाचार पारा निवामी वाबू श्री निर्मलकुमारजी जैनके जैन समाजकं प्रसिद्ध समाजसेवी, तीर्थभक्त, स्वर्गवास पर शोक प्रकट करने के लिय श्री छोटलाल दानवीर आरा निवामी बाबू निर्मलकुमारजी जैन जी जैन के सभापतित्वमें स्थानीय श्री दिगम्बर जैन रईमका बहुत दिनोंकी बीमारीके बाद कार्तिक शुक्ला भवनमें कलकत्ते के सारे जैन-समाजकी सभा हुई। एकादशी, ता० ११ नवम्बरको स्वर्गवास हो गया उसमें निम्न प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
है। वीरसेवामंदिर परिवार आपके असामयिक ___कलकत्तेके समस्त जैन-समाजके सुप्रसिद्ध समाज- निधनपर हार्दिक खेद प्रकट करता हुआ जिनेन्द्रसे सेवी, तीर्थ भक्त, दानवीर और कितना ही उपयोगी प्रार्थना करता है कि म्वर्गस्थ आत्मा परलोकमें सुखसंस्थाओंके संस्थापक एवं जैन धर्म, समाज तथा शान्तिका अनुभव करे, और शोकाकुल कुटुम्बी-जना देशके महत्त्वपूर्ण कार्यामें सदा सहयोग देने वाले को इप्ट वियोगके महनेकी क्षमता प्रदान करे। श्रापक सुप्रख्यान आग निवासी बाबू देवकुमारजी जैनके
निधनसं एक समाज सेवीका अभाव हो गया है
जिसकी पूर्ति होना कठिन है। ज्येष्ठ पुत्र श्री निर्मलकुमारजी जैनके असामयिक
शोकाकुल-वीर संवान्दिर परिवार स्वर्गवास पर हादिक शांक प्रकट करती है। उनके ~~ वियोगमें सारे जैन समाजकी जो महान क्षति हुई।
हादिक समवेदना प्रकट करती है और श्री वीर प्रभुसे
प्रार्थना करती है कि वे दिवंगत आत्माको शान्ति है, उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती।
और उनके परिवार वर्गको धैर्य प्रदान करें। यह सभा उनके शोक-संतप्त परिवारके प्रति
जैन समाज कलमा