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________________ अनेकान्त [ वर्ष १४ १२२] स्यणत्तय-भूसणु गुण-निहाणु, अण्ण मणई रसमोहिय चित्तई। अण्णाण-तिमिर पसरत-भागु । लक्खण-छद-रहिउ हीणाहिउ, गुदिज नयरि जिण पासहम्मि, न मुणंतेण एस्थ किर साहिउ । निव संतु संतु संजणिय सम्मि । तं महुँ खमहु विछह-चिंतामणि, अह अज नियवि पासहो चरित्त, सत्त भंगि नय-पवर-पयासणि । अब्भत्थि वि मविय जणेहि वुत्त । जांतह लोयसिहर-पुरवासहो, छंदालंकार-ललिय पयत्यु, कमठ-महासुर-दप्प-विणासहो। पुणु पासचरिउ करि पायडत्थु । चउ-भासामय-सावण-चंदहो, अइसयवंतहो पास-जिणंदहो । तहिं गुण गणहरि गोंदिज पुरवरि णिवसंतह पासहो चरित अवखर-पय सारहं अत्थवियारहं सुललिय छंदहि उद्धरिउ ॥१२॥ मुह-कुहर निवा सणि भुवणुठभासिणि कुपय-कुपथ-कुनय-महणि "सा देवि सरासह मायमहासइ देवयंद महुँ वसउ मणि ॥१३॥ सिरिपासणाह-चरिए चउवग्गफले भविय जमणाणंदे पास-जिणिंद-चरिउ जगि निम्मलु फणि-नर-सुरह गिज्जई। मणिदेवयंद-रइए महाकव्वे एयारसियाइमा संधी समत्ता ॥ फुडु मग्गापवग्ग फल पावणु खणु न विलंबु किज्जए॥ (मेरे पैतृक शास्त्रभंडारसे सं० १५४६ की खंडित प्रतिसे) अणु दिगु जिण-पय-पोमहि ननियह, १५-सयविहि-विहाणकव्व(सकलविधि-विधान काव्य) कवि नयनन्दी गंथ पमाणु पयासमि भवियाई । आदिभाग:नाणा छद-बंध-नीरंधहि, धलव-मंगल-णंद-जववह-मुहलंमि सिद्धवि, पामचरिउ एयारह मंधिहि । हारलोय-हरिसु ब-संकमिउ-सग्गाउ जिणु । पउरच्छहि सुवरणग्म घढियहि, जयउ पुरिम-कल्याण-कल सुव अह णं मिद्धि-वाहू-विमल दोन्नि सयाई दोनि पद्धडियहिं । मुत्तावलिहि णिमित्त मुह मुत्तिए ।पियकारिणि ह सिप्पिहि चउवग्ग-फलहो पावण-पंथहो, मुतिउ खित्त ॥ मई चउवीस होति फुड गंथहो । जिण-सिद्ध-सूरि-पाढय सवण, जो नरु देह लिहाविउ दाणई, पणवेप्पिणु गुरुभत्तिए । सहो संपज्जइ पंचई नाणई। णोसेस विहाण णिहाण फुड, जो पुणु वचइ सुललिय-भापई, करिम कव्व णिय-सतिए ॥ तहो पुण्णण फलहिं सब्वासइं। पयासिय-केवलणाण-मनोह, जो पयडन्थु करे वि पउंजइ, परामर-विंदरविंद-पबोह। सो सग्गापवग्ग-सुहु भुजइ। वियंभिय -पाव-तमोह-विणास, जो प्रायन चिरु नियमिय मनु, णमामि अहं बरहंत विणास । सो इह लोइ खोइ सिरि भायतु । णिरामय-मोक्ख णहगण-लीण, दिणि दिणि मंदिरि मंगलु गिना, कयाविण वढिय हो परिहीण । नरचइ कामिशि पडहु पवजह । कलंक-विमुक्क जगत्तय-वंद, निप्पजहि भुवि सम्वई सासई, णमामि सुसिद्ध अणोवम चंद । दुहु-बुभिक्खु-मारि-भउ नासई। अखंघ महंत खमासुणि सपण, अरवि जंमइंक करंताई, मणग्य-महारयणावनि-पुण्ण ।
SR No.538014
Book TitleAnekant 1956 Book 14 Ank 01 to 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1956
Total Pages429
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size25 MB
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